Monday, April 29, 2013

अमेरिकी हवाई अडडों पर भारतीयों का अपमान क्यों

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और वरिष्ठ मंत्री आाजम खां के साथ उनके सहयोगी अमेरिका से नाराज होकर लौट आये हैं। उन्हें वहां हार्वर्ड विश्वविद्यालय मे कुंभ मेले के इंतजामात पर व्याख्यान देना था, जो उन्होंने नहीं दिया। क्योंकि बोस्टन के हवाई अड्डे पर अमेरिका के सुरक्षा अधिकारियों ने आजम खां से दुव्यवहार किया। ऐसा पहली बार नहीं हुआ। एनडीए सरकार के रक्षा मंत्री जार्ज फर्नाडीज, युवा राहुल गांधी, फिल्मी सितारे शाहरूख खान जैसे कई मशहुर लोग है, जिन्हें अमेरिका के सुरक्षा अधिकारी हवाई अड्डों पर परेशान कर चुके हैं, इसलिए अखिलेश यादव और आजम खां का यह फैसला सराहनीय रहा। इससे हार्वर्ड विश्वविद्यालय के छात्रों की मार्फत पूरे अमेरिकी समाज को यह संदेश गया कि
भारत के गणमान्य नागरिकों के साथ उनकी सरकार का व्यवहार सम्मानजनक नहीं रहा।
 
जब न्यूयॉर्क के हवाई अड्डे पर सुरक्षा जांच के लिए रोके गए भारतीय फिल्मी सितारे शाहरूख खान को अपनी ‘ये बेइज्जती’ बर्दाश्त नहीं हुई, तो उन्होंने फिल्म बनवा डाली। जिसमें बार-बार यह बात दोहराई गयी है कि,‘माई नेम इज़ खान एण्ड आई एम नॉट ए टैरेरिस्ट’ मैं खान हूं पर आतंकवादी नहीं। 9/11 के बाद से अमरीका में रह रहे मुसलमानों को स्थानीय आबादी की घृणा का शिकार होना पड़ा है। इसलिए तब से अब तक इस मुद्दे पर दर्जनों फिल्में भारत और अमरीका में भारतीय मूल के निर्माता बना चुके हैं। जिनमें इस्लाम के मानने वालों की मानवीय संवेदनाओं को दिखाने की कोशिश की गयी है।
 
पर यहां एक फर्क यह है कि जिस तरह भारत में हर ‘एैरा गैरा नत्थू खैरा‘ अपने को वीआईपी बताकर कानून तोड़ता रहता है, वैसा पश्चिमी देशों में नहीं होता। राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री जैसे पद पर बैठे व्यक्तियों के अतिरिक्त अन्य लोग तो सामान्य नागरिकों की तरह रहते हैं। दरसल वहां वीआईपी लिखा बोर्ड कहीं दिखाई ही नही देता। जबकि हमारे यहां वीआईपी होने के तमाम फायदे है, जिनमें से एक फायदा यह भी है कि कोई सामान्य पुलिसकर्मी आपसे वाजिब सवाल भी नहीं कर सकता। क्योंकि ऐसा करना वीआईपी की शान में गुस्ताखी माना जाता है। इसलिए कई बार हमारे देश के वी आईपी जब विदेशों में जाते हैं तो उन्हें शायद इस बात की आदत नहीं होती कि सुरक्षा कर्मी उन्हें रोकें या टोकें । ऐसा होने पर वह भिड़ जाते हैं। पर यह भी सही है कि अमेरिका के सुरक्षाकर्मी जान बूझकर ऐसा व्यवहार करते हैं कि आप अपमानित महसूस करते हैं । मैं स्वयं इसका भुगतभोगी हूँ साउथकैरोलीना के शार्लेट हवाई अड्डे पर सुबह के 5 बजे थोडे़ से मुसाफिर थे पर अमेरिकी सुरक्षाकर्मी ने मेरी सुरक्षा जाँच में नाहक इतनी देर लगा दी कि मेरा हवाई जहाज छूट गया। जबकि बार-बार एयरलाइंस की तरफ से मेरे नाम की उद्घोषणा हो रही थी। मेरी आगे की यात्रा का सारा कार्यक्रम बिगड गया। ऐसा भी नही कि मेरे पास बहुत सारा सामान था, जिसे जाँचने मे देर लगती। एक छोटा सा बैग था, जिसकी तलाशी 5 मिनट में ली जा सकती थी। जाहिरन उनका यह व्यवहार मुझको अपमानित करने के लिए था। यद्यपि ऐसा मेरी अनेकों अमेरिकी यात्राओं में एक ही बार हुआ। इसलिए इसे मानने में कोई संकोच नहीं कि मोहम्मद आजम खां के साथ अमेरिका में दुव्र्यवहार हुआ होगा। जबकि इसके विपरीत अमेरिकी मेहमानों का भारत में अतिविशिष्ट व्यक्ति के रूप मे सम्मान होता है। इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि हमारे देश का विदेश मंत्रालय अमेरिका स्थित भारतीय दूतावास के माध्यम से यह सुनिश्चित करे कि देश के विशिष्ट व्यक्तियों को अमेरिकी हवाई अड्डों पर इस तरह नाहक अपमानित न किया जाये।
 
आतंकवाद को लेकर अमेरिकी सरकार की चिंता समझी जा सकती है। इसलिए उन्होंने सुरक्षा जांच के इंतजामों को चाकचैबंद किया हुआ है और इसका उन्हें लाभ भी मिला है। 9/11 के बाद पिछले हफ्ते तक अमेरिका में आतंकवाद की कोई घटना नहीं हुई थी। इस बात की तारीफ की जानी चाहिये कि उनके सुरक्षाकर्मी किसी दूसरे देश की आधिकारिक सूचनाओं पर भी यकीन नहीं करते, अपनी जांच खुद करते हैं। क्योंकि कुछ देशों की सरकारें भी आतंकवाद को छिपा सहारा देती हैं। हमें भी अपनी सुरक्षा व्यवस्था ऐसी ही चुस्त बनानी चाहिए। जिससे आतंकवादियों को बचने का मौका न मिले। पर इसका मतलब यह नहीं कि नाहक विदेशी मेहमानों को अपमानित किया जाये, कहीं न कहीं अमेरिकी सरकार से चूक हो रही है। जिसके खिलाफ विरोध का स्वर प्रखर होना चाहिए। अखिलेश यादव और आजम खां ने अपना विरोध इस प्रखरता के साथ दर्ज करा दिया है।

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