Monday, April 9, 2012

बाबा रामदेव हर कदम सोच - विचार कर उठाएं

ऐसा लगता है कि बाबा रामदेव को मधुमक्खियों के छत्ते में हाथ डालने में मजा आता है। अभी कांग्रेस से उनकी पंगेबाजी चल ही रही है कि उन्होंने आयुर्वेद की दवाओं के निर्माताओं से भी पंगा ले लिया। जिससे देश की नामी आयुर्वेद कम्पनियों के निर्माता उनसे खासे नाराज हैं। योग सिखाते-सिखाते बाबा ने आयुर्वेद का कारोबार खड़ा कर डाला। अब तक वे इसे अपने केन्द्रों और अनुयायियों तक सीमित रखे हुए थे। पर अब वे उतर पड़े हैं खुले बाजार में और ताल ठोककर आयुर्वेद की दवाओं और प्रसाधनों के देशी और विदेशी निर्माताओं को चुनौती दे रहे हैं। बाबा अपने टी0वी0 पर सीधे प्रसारण में खुलेआम इन कम्पनियों के उत्पादनों की मूल्य सूची पर सवाल खड़े कर रहे हैं और जनता को बता रहे हैं कि ये कम्पनियां किस तरह से आयुर्वेद के नाम पर जनता को उल्टे उस्तरे से मूढ़ रही हैं। साथ ही वे अपने उत्पादनों की सूची जारी करके मूल्यों का तुलनात्मक मूल्यांकन कर रहे हैं।
क्या बाबा के इस नये शगूफे को विशुद्ध मार्केटिंग की रणनीति माना जाए? लगता तो ऐसे ही है कि आचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेव दोनों ने मिलकर आयुर्वेद के बाजार पर कब्जा करने का इरादा कर लिया है। वर्ना इस तरह योग गुरू को अपने उत्पादनों के लिए देश के विभिन्न नगरों में जाकर प्रचार करने की क्या जरूरत थी? पर आश्चर्य की बात यह है कि उनके दर्शक और श्रोता ऐसा नहीं मानते। बाबा के दूसरे अभियानों की तरह वे इसे भी जनचेतना का एक अभियान ही मान रहे हैं। उनका कहना है कि बाबा के रहस्योद्घाटन ने उनकी आँखे खोल दी हैं। वे अब तक लुटते रहे और उन्हें पता ही नहीं चला। उदाहरण के तौर पर जब दुनियाभर में ऐलोवेरा जैल बाजार में लाया गया तो विदेशी कम्पनियों ने इसे सेहत का रामबाण बताकर खूब महंगा बेचा। 1200 रूपये लीटर तक बिका। मुझे याद है कि सन् 2000 में अपने अमरीकी प्रवास के दौरान मैंने ऐलोवेरा का खूब शोर सुना। जिसे देखो इसकी बात करता था। मैं भी स्टोर में उत्सुकतावश ऐलोवेरा देखने पहुँचा। तब पता चला कि बचपन से घर के बगीचे में जिस ग्वारपाठा को देखा था, जिसके गूदे से माँ हलुवा और रोटी बनवाती थी, उसकी एक पत्ती चार डॉलर की बिक रही थी।
पिछले दिनों बाबा रामदेव के संस्थान ने ऐलोवेरा जैल को चैथाई कीमत पर जब बाजार में उतारा तो बड़ी-बड़ी कम्पनियों को अपने दाम घटाने पड़े। बाबा के सहयोगी आचार्य बालकृष्णन इसे अपनी नैतिक जीत बताते हैं। उनका दावा है कि हम आयुर्वेद का बाजार कब्जा करने नहीं जा रहे। इतना बड़ा देश है, हम ऐसा कर ही नहीं सकते। पर गुणवत्ता के उत्पादनों को ‘वाजिब दाम’ में बाजार में लाकर हम देशी और विदेशी कम्पनियों को चुनौती दे रहे हैं। उन्हें दाम कम करने के लिए मजबूर कर रहे हैं। इसलिए वे मानते हैं कि बाबा रामदेव का इन उत्पादनों के समर्थन में जनता को सम्बोधित करना एक आम मार्केटिंग का शगूफा नहीं है, बल्कि उनके राष्ट्र निर्माण अभियान का एक और कदम है। वे यह भी दावा करते हैं कि अगर देशभर में फैले छोटे निर्माता उनसे तकनीकि सीखकर इन औषधियों और प्रसाधनों का उत्पादन करना चाहें, तो वे इसे सहर्ष बांटने के लिए तैयार हैं।
यह बात दूसरी है कि बाबा के आलोचक बाबा के इस पूरे कार्यक्रम को धर्म की आड़ में चल रहे व्यापार की संज्ञा देते हैं। सीपीएम नेता वृंदा करात और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के बाबा पर होने वाले हमलों को छोड़ भी दें तो भी देश के अनेक धर्माचार्य रामदेव बाबा को धंधेबाज बताते हैं। जबकि रामदेव बाबा का कहना है कि वे भारत के सनातन ज्ञान को मार्केटिंग का पैकेज बनाकर इस लिए चल रहे हैं ताकि राष्ट्र निर्माण के उनके अभियान में उन्हें साधनों के लिए पूंजीपतियों या राजनैतिक दलों के आगे हाथ न फैलाना पड़े। उनका मानना है कि इन लोगों पर अपनी आर्थिक निर्भरता सौंपने के कारण ही हमारी राजनीति इतनी कलुषित हो गई है। जिनके मतों से राजनेता चुने जाते हैं, उनसे ज्यादा उन्हें उन लोगों की चिंता होती है, जिनकी आर्थिक मदद से वे चुनाव लड़ते हैं। इसलिए वे आर्थिक आत्मनिर्भरता के साथ राष्ट्रनिर्माण का आन्दोलन चलाना चाहते हैं। वे उदाहरण देते हैं महात्मा गांधी के स्वराज कोष का, जो गांधी जी ने राष्ट्रीय राजनीति में कूदते ही स्थापित किया था। पर बाबा के आलोचक इससे सहमत नहीं हैं। वे आरोप लगाते हैं कि गांधी जी की तरह बाबा इस कारोबार के संचालन से अनासक्त नहीं हैं। इसलिए उन्होंने अपने मुठ्ठीभर चहेतों के हाथ में सारा कारोबार सौंप रखा है। यह रवैया गैर लोकतांत्रिक है और अधिनायकवादी है। अपनी सफाई में बाबा इस आरोप से भी पल्ला झाड़ लेते हैं। उनका कहना है कि दूसरों के अनुभव से सीखकर वे नहीं चाहते कि उनकी योजनाओं को भी निहित स्वार्थ घुसपैठिया बनकर धराशायी कर दें। जिसके हाथ में तिजोरी की चाबी होती है, ताकत भी उसी के पास होती है। इसलिए बाबा अपने आर्थिक और योग के साम्राज्य को अपनी मुठ्ठी में बन्द रखना चाहते हैं।
जो भी हो, इतना तो स्पष्ट है कि बाबा रामदेव ने गत् चार-पांच वर्षों से हिन्दुस्तान की राजनीति में तूफान मचा दिया है। उन पर जितना सरकारी हमला तेज होता है, उतना ही वे और भड़कते हैं और बार-बार अपने अनुयायियों से एक बड़े आन्दोलन के लिए तैयार रहने को कहते हैं। जो उनकी घोषणा के अनुसार जल्द ही देश में शुरू होने वाला है। सोचने वाली बात यह है कि तमाम विरोधाभासों के बावजूद क्या बाबा रामदेव को सिर्फ इसलिए दरकिनार किया जा सकता है कि वे केसरिया कपड़े पहनते हैं? या वे योग और आयुर्वेद को एक कॉरपोरशन की तरह चलाते हैं? या फिर उनके उत्साह और ऊर्जा का भी मूल्यांकन किया जाए, जो वे अपने अभियान के लिए लगातार जनता के बीच में झोंके हुए हैं? बाबा रामदेव के जीवन का लक्ष्य सत्ता हासिल करना हो या राष्ट्र का निर्माण, वो पूरे जीवट से जुटे हैं और यही उनके व्यक्तित्व के आकर्षक या विवादास्पद होने का कारण है। बाबा रामदेव जैसे व्यक्तित्वों का सही मूल्यांकन शायद राजनीतिक जमात या मीडिया नहीं कर सकता। यह काम तो शायद जनता करेगी। जिनपर उनका प्रभाव पड़ रहा है। इसलिए बाबा को भी हर कदम खूब सोच-विचार कर उठाना चाहिए।

4 comments:

  1. Pahli baat to ye hai ke Aayurved ke naam Jo Dawa be chi ja rahi hai wo Aayurved hai hi nahi,Aayurved ka sabse pahla Shlok hai ki Yadi Aap yam Niyam aur Sanyam se Jitendra hai to aapko Dawa ki aawashakta hi nahi hai aur yadi aap Yam Niyam aur Sanyam se nahi jite to Dawa Aapke liye Kooch nahi kar sakti.Kya hai wo yam Niyam aur Sanyam Jise Garib se garib aur Amir se Amir Insan Sahjata se kar sakta hai,us par aaj tak kisi ne khoj nahi ki.Parantu hamare AayushyaMaan Bhav trust ne wo khoj kar lee hai aur usi ko pracharit karne ke liya hum koshish kar rahe hai,adhik jankari ke liye hamari website www.arunrishi.com dekhiye.

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  2. AGAR BABA RAMDEV AYURVED K BAZAR PAR KABZA KARNA CHAH RAHE H TO ISME DIKKAT KYA H, JAB KOI VIDESHI COMPANY AKAR IS PAR KABZA KAR LEGI AUR HAMARI CHEEZ HAMI KO BECH KAR HAMARE DESH KA PAISA BAHAR L JAEGI, KYA TABHI HAMARE DESH K LIE ACCHA HOGA....
    SAYAD AAP KO YE NAI DIKH RAHA KI JO AYURVED BHARAT M KHUD MOOT KI ANTIM SAANS LE RAHA THA USE BABA RAMDEV NE PHIR SE JINDA KAR DIA H
    AUR IS SAMAYA BABA RAM DEV HI H JO AYURVED KO BADA RAHE H AUR HAMARE DESH K LOGO KO ANGREZI JAHAR SE DESH VASION KO BACHA RAHE H...

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  3. RECENTLY MAINE KUCH PUSTAKE PADHI AUR UNKO PADHKAR JO MAINE ANUBHAV KIYA H WO YAH H KI JIS MUDDE PAR BABA RAMDEV LAD RAHE H US KAM KI SHAKTI BHARAMCHARYA SRIR M HI HO SAKTI H,
    AAP BHI IS BAT KO SAMAJH SAKTE H
    "AGAR APNE YUVADHAN RAKSHA PUSTAK PADI HO TO(VEERYA DHAN RAKSHA)BOOK PADI HO TO"

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  4. baba ramdev ji sahi keh rhe hain wo is dharti par vishnu ke avtaar hain

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