जब हेमा मालिनी का नाम लोकसभा चुनावों में मथुरा से सांसद के प्रत्याशी के रूप में घोषित हुआ, तो भाजपा के विरोधी खेमों में ही नहीं, बल्कि भाजपा में भी यह सुगबुगाहट थी कि एक फिल्मी अदाकारा ब्रज की क्या सेवा करेगी? लोग ये कहते थे कि वोट लेने के बाद हेमामालिनी के दर्शन अगले पांच वर्ष तक नहीं होंगे। अभी चुनाव हुए 2 वर्ष ही हुए है, लेकिन हर ब्रजवासी की जुबान पर हेमामालिनी का नाम हैं। इसलिए नहीं कि वे आये दिन ब्रज में हर मौके पर उपस्थित रहकर अपने ब्रजप्रेम का प्रदर्शन करती हैं। इसलिए भी नहीं कि उन्होंने ब्रज के गांवों के विकास की अपेक्षाओं को पूरा कर दिया, ऐसा तो वो क्या कोई भी सांसद नहीं कर सकता। बल्कि इसलिए कि उन्होंने ब्रज के लिए जो किया है, वैसा आजतक कोई सांसद नहीं कर पाया था।
यह भ्रान्ति है कि सांसद का काम सड़क और नालियां बनवाना है। झारखंड मुक्ति मोर्चा रिश्वत कांड में फंसने के बाद प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने सांसदों की निधि की घोषणा करने की जो पहल की, उसका हमने तब भी विरोध किया था। सांसदों का काम अपने क्षेत्र की समस्याओं के प्रति संसद और दुनिया का ध्यान आकर्षित करना हैं, कानून बनाने में मदद करना हैं, न कि गली-मौहल्ले में जाकर सड़क और नालियां बनवाना। कोई सांसद अपनी पूरी सांसद निधि भी अगर लगा दे तो एक गांव का विकास नहीं कर सकता। इसलिए सांसद निधि तो बन्द कर देनी चाहिए। यह हर सांसद के गले की हड्डी है और भ्रष्टाचार का कारण बन गई है।
हेमा मलिनी ने ब्रज को न सिर्फ समझा हैं, गले लगाया है बल्कि उसे अपने हृदय में उतार लिया है। पिछले दिनों उन्होंने वृन्दावन में अपनी दो नृत्य नाटिकाएं प्रस्तुत की, ’यशोदा कृष्ण ’व’ राधा-रासबिहारी’। इन प्रस्तुतियों में ब्रज का जो नैसर्गिक और सांस्कृतिक भाव हेमा जी ने प्रस्तुत किया, उसे देखकर हर ब्रजवासी मंत्रमुग्ध हो गया। इसमें आधुनिक तकनीकि का व्यापक इस्तेमाल किया गया। जो इस तरह के नाट्य बैले में उनकी संस्था ’नाट्य विहार कला केन्द्र, मुम्बई’ आज तक करती आई है। पर इसके साथ ही वृन्दावन की ’कान्हा एकेडमी’ के संचालक अनूप शर्मा ने अपना बौद्धिक सहयोग करके इस नृत्य नाटिका में ब्रज की माखन मिसरी घोल दी। दोनों के संयुक्त प्रयास से जो कुछ मंच पर प्रस्तुत किया गया वह काफी है पूरी दुनिया का ध्यान ब्रज की ओर आकर्षिक करने के लिए।
हेमाजी से जब भी ब्रज के विषय में चर्चा होती है, वे अपनी पीड़ा व्यक्त करना नहीं भूलती। उन्हें दुख है कि भगवान श्रीराधाकृष्ण की लीलास्थलियों वाला ब्रज इतनी दुर्दशा को कैसे प्राप्त हो गया ? यही कारण है जब उन्होंने ’ब्रज फाउण्डेशन’ के जीर्णोंद्धार कार्यों को देखा तो वे दंग रह गई और सार्वजनिक मंच से कहा कि अब मैं ब्रज फाउण्डेशन के साथ मिलकर ब्रज सजाने का काम करूंगी। क्योंकि ब्रज फाउण्डेशन पिछले 15 वर्षों से ब्रज की जीर्ण-शीर्ण हो गई, लीलास्थलियों को ढूंढने, संवारने, सजाने और संरक्षण करने का काम बड़ी तत्परता और कलात्मकता से कर रही है। जिसकी सराहना वर्तमान प्रधानमंत्री व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री तक सार्वजनिक रूप से करते हैं।
अपनी नृत्य नाटिका के साथ ही अगर हेमामालिनी ब्रज फाउण्डेशन की एक पावर पॉइंट प्रस्तुति भी करवाती हैं तो दर्शकों को पता चलेगा कि जिस कोईलेघाट से वसुदेव जी बालकृष्ण को लेकर यमुना पार गोकुल गये थे, वो कैसा था और अब उसे फाउण्डेशन ने कैसा सुंदर बना दिया। इसी तरह जब हेमाजी की नृत्य नाटिका में कालियामर्दन की लीला का दृश्य आयेगा तो उसके बाद ही दर्शकों को दिखाया जाए कि इस लीला स्थली का स्वरूप कैसा था और अब उसे कितना निखार दिया गया। इस तरह एक तरफ कला व संगीत के साथ सौन्दर्यबोध कराया जायेगा तो दूसरी तरफ लीलास्थलियों की दुर्दशा की वास्तविक स्थिति दिखाकर पूरी दुनिया के कृष्णभक्तों और भारत प्रेमियों को ब्रज को सजाने-संवारने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। यदि हेमामालिनी ऐसा कर पाती हैं तो ब्रज विकास के कामों में गति आयेगी। यही एक सांसद का कार्य भी है कि वह अपने क्षेत्र के प्रति दुनिया का ध्यान आकर्षित करें। ब्रज में वैसे उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के अलावा, राजस्थान का भरतपुर व हरियाणा के पलवल जिले का कुछ क्षेत्र भी आता है। प्रयास ऐसा होना चाहिए कि पूरे ब्रज का सौन्दर्यीकरण साथ हो। चाहे वो किसी भी राज्य के हिस्से में क्यों न हो। क्योंकि कान्हा की लीलास्थलियां पूरे ब्रज में हैं।
इससे पहले जो मथुरा के सांसद बने, वे सद्इच्छा रखते हुए भी राजनीतिज्ञ थे। कोई कलामर्मज्ञ या भक्त नहीं थे। इसलिए उनसे ऐसी अपेक्षा नहीं की जा सकती थी। हेमामालिनी कहने को राजनीतिज्ञ हैं। पर वास्तव वे एक उच्चकोटि की कलाकार और उससे भी उच्चकोटि की भक्त है। ऐसी शख्सियत आज ब्रज का संसद में प्रतिनिधित्व कर रही हैं, यह ब्रजवासियों के लिए गर्व की बात होनी चाहिए। हेमामालिनी को भी अपनी शख्सियत के अनुसार ब्रज की ब्रान्ड एम्बेंसडर बनने की भूमिका और जोरदार तरीके से निभानी चाहिए।
पर प्रायः होता यह है कि मशहूर और शक्तिशाली लोगों से निहित स्वार्थ इस तरह चिपक जाते हैं, कि वे उनके चारों ओर एक दीवार खड़ी कर देते हैं। उन्हें गलत सूचनाएं देते हैं, उनकी ऊर्जा का अपव्यय करवाते हैं और उनसे अपने व्यावसायिक हित साधते हैं। हेमा जी को ऐसे लोगों से सावधान रहना होगा और तलाशने होंगे वो लोग जिनका एकमात्र ध्येय ब्रज को सजाना और संवारना है। ऐसे लोगों के साथ जुड़कर वे ब्रज को बहुत कुछ दे सकती है। जो पहले कोई सांसद न दे पाया। कोई वजह नहीं कि ऐसा करने के बाद ब्रज की जनता उन्हें दुबारा संसद में न भेजें।