Monday, May 6, 2019

सरकार का मौन रहना जैट ऐयरवेज व देश को मंहगा पड़ा

हाल ही में कैंसर से पीड़ित जैंट ऐयरवेज के एक कर्मी शैलेश सिंह ने अपने घर से कूदकर आत्महत्या कर ली। इस आत्महत्या के पीछे उनके शरीर के अंदर का कैंसर नहीं बल्कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय, डीजीसीए में लिप्त भ्रष्टाचार का कैंसर जिम्मेदार है। इस कॉलम के माध्यम से हम पाठकों को नागरिक उड्ड्यन मंत्रालय, डीजीसीए व जैट ऐयरवेज के बीच चल रही भ्रष्ट साजिश के विषय में गत चार वर्षों  से अवगत कराते रहे हैं। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री कार्यालय, सीबीआई, सीवीसी व नागरिक उड्डयन मंत्रालय को लगातार 2014 से इस मामले में मय प्रमाण के जैट ऐयरवेज द्वारा की गई खामियों का कच्चा चिट्ठा देते आऐ हैं। लेकिन न जाने किन कारणों से इन सभी के कुछ अधिकारी जैट ऐयरवेज व उनके मालिक नरेश गोयल के साथ अपनी वफादारी निभाने के चक्कर में इस निजी कम्पनी को बचाने में जुटे रहे। इस घोटाले के तार बहुत दूर तक जुड़े हुए हैं। वो चाहे यात्रियों की सुरक्षा की बात हो या देश की शान माने जाने वाले महाराजा एयर इंडिया की बिक्री की बात हो। ऐसे सभी घोटालों में जैट ऐयरवेज का किसी न किसी तरह से कोई न कोई हाथ जरूर है।

आश्चर्य की बात ये है कि जब हमने जैट ऐयरवेज के इतने घोटाले खोले तो सत्ता के गलियारों और मीडिया में उफ तक नहीं हुई। अब जब इस पर तूफान मच चुका है और जैट ऐयरवेज किसी भी तरह के हवाई ऑपरेशन को करने में नाकाबिल है, तो अचानक चारों ओर से इस घोटाले पर शोर मचना शुरू हो रहा है। गौरतलब है कि अभी भी इस घोटाले से संबंधित असल मुद्दे नदारद हैं। कुछ समय पहले दिल्ली उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गीता मित्तल व न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर की खंडपीठ ने नागरिक उड्ड्यन मंत्रालय, डीजीसीए व जैट ऐयरवेज को कालचक्र ब्यूरो के समाचार संपादक राजनीश कपूर की जनहित याचिका पर नोटिस दिया था। उन तमाम आरोपों पर इन तीनों से जबाव तलब किया जो कालचक्र ने इनके विरुद्ध उजागर लिए थे। याचिका में इन तीनों प्रतिवादियों पर सप्रमाण ऐसे कई संगीन आरोप लगे हैं, जिनकी जांच अगर निष्पक्ष रूप से होती है, तो इस मंत्रालय के कई वर्तमान व भूतपूर्व वरिष्ठ अधिकारी संकट में आ जाऐंगे। लेकिन ये तीनों किसी न किसी कारण से माननीय न्यायालय को जवाब देने में कोताही बरत रहे हैं। 

अब जब जैट ऐयरवेज पूरी तरह से ‘ग्राउंड’ हो गई है और इसके हजारों कर्मचारी बेरोजगार हो चुके हैं, तो जाहिर सी बात है कि अन्य निजी ऐयरलाईन्स जैट ऐयरवेज के पायलेट व अन्य कर्मचारियों पर नजर गढ़ाऐं बैठे हैं। उम्मीद है कि इन ऐयरलाईन्स के ‘एचआर’ विभाग में तैनात अधिकारियों को इस बात का ज्ञान जरूर होगा कि जैट ऐयरवेज पर देश की विभिन्न अदालतों में मुकदमें विचाराधीन हैं। ऐसे में अगर जैट ऐयरवेज के दोषी पायलेटों/कर्मचारियों को किसी अन्य ऐयरलाईन्स में भर्ती होते हैं और अदालत उन्हें दोषी करार देते हुए, कोई सजा सुनाती है, तो फिर इन पायलेटों/कर्मचारियों का दूसरी ऐयरलाईन में न जाना एक समान हुआ। इतना ही नहीं वे पायलेट/कर्मचारी जिस भी ऐयरलाईन में जाऐंगे और दोषी पाऐ जाने पर सजा काटेंगे, तो वह उस ऐयरलाईन की साख पर एक कलंक से कम नहीं होगा।

उदाहरण के तौर पर दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर याचिका का एक आरोप जैट ऐयरवेज के एक ऐसे अधिकारी, कैप्टन अजय सिंह के विरुद्ध है, जो पहले जैट ऐयरवेज में उच्च पद पर आसीन था और दो साल के लिए उसे नागरिक उड्ड्यन मंत्रालय के अधीन डीजीसीए में संयुक्त सचिव के पद के बराबर नियुक्त किया गया था। यह बड़े आश्चर्य की बात है कि ‘कालचक्र’ की आरटीआई के जबाव में डीजीसीए ने लिखा कि ‘उनके पास इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि कैप्टन अजय सिंह ने डीजीसीए के ‘सी.एफ.ओ.आई.’ के पद पर नियुक्त होने से पहले जैट ऐयरवेज में अपना त्याग पत्र दिया है या नहीं‘। कानून के जानकार इसे ‘कन्फ्लिक्ट आफ इन्ट्रेस्ट’ मानते हैं। समय-समय पर कैप्टन अजय सिंह ने ‘सी.एफ.ओ.आई.’ के पद पर रहकर जैट ऐयरवेज को काफी फायदा पहुंचाया था। जब कालचक्र ने एक अन्य आरटीआई में डीजीसीए से यह पूछा कि कैप्टन अजय सिंह ने ‘सी.एफ.ओ.आई.’ के पद से किस दिन इस्तीफा दिया? उसका इस्तीफा किस दिन मंजूर हुआ? उन्हें इस पद से किस दिन मुक्त किया गया? और इस्तीफा जमा करने व पद से मुक्त होने के बीच कैप्टन अजय सिंह ने डीजीसीए में जैट ऐयरवेज से संबंधित कितनी फाइलों का निस्तारण किया? जवाब में यह पता लगा कि इस्तीफा देने और पद से मुक्त होने के बीच कैप्टन सिंह ने जैट ऐयरवेज से संबंधित 66 फाइलों का निस्तारण किया। ये अनैतिक आचरण है। ऐसे आचरण वाले जैट ऐयरवेज के पायलेट/कर्मचारी अनेक हैं।
अब जब जैट ऐयरवेज किसी भी तरह की उड़ान किसी भी सेक्टर में नहीं भर रहा है, तो जैट ऐयरवेज द्वारा खाली किये गऐ रूट, भारत के ‘राष्ट्रीय कैरियर ‘एयर इंडिया’ को न देना, एक और घोटाले का संकेत है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एक अन्य निजी ऐयरलाईन में ऐसा क्या देखा कि जैट ऐयरवेज द्वारा किये जाने वाले मुनाफे वाले रूट घाटे में चल रहे भारत के ‘राष्ट्रीय कैरियर ‘एयर इंडिया’ को न देकर, उस निजी ऐयरलाईन को दे डाले।


प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने जैट ऐयरवेज के संकट पर एक आपातकालीन बैठक बुलाई और जैट ऐयरवेज को संकट से ऊबारने की कोशिश जरूर की। लेकिन सूत्रों की मानें तो, प्रधान मंत्री कार्यालय में तैनात कुछ अधिकारी जैट ऐयरवेज को इस संकट से बाहर आने देना नहीं चाहते। पता चला है कि जैट ऐयरवेज के मालिक नरेश गोयल को जैट साम्राज्य औने-पौने दाम में किसी निजी ऐयरलाईन्स को सौंपने के लिए कहा गया है। अब वो ऐयरलाईन भारतीय है या विदेशी ये तो समय आने पर ही पता चलेगा। लेकिन एक बात जरूर है कि हर साल करोड़ों रोजगारों वायदा करने वाली भाजपा सरकार जैट ऐयरवेज के मौजूदा हज़ारों कर्मचारियों की नौकरी बचा न सकी। अब देखना यह है कि 23 मई के बाद बनने वाली सरकार इस संकट से कैसे निपटेगी और न सिर्फ जैट ऐयरवेज के कर्मचारियों का क्या हित करेगी, बल्कि हवाई यात्रा करने वाले करोड़ों यात्रियों को इस संकट के दौरान महंगी टिकट लेकर यात्रा करने के कष्ट से भी क्या निदान मिलेगा?

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