आज की व्यस्त जिंदगी में सभी अपने दैनिक कार्यों में इतने व्यस्त हो गए हैं कि आम जनता को या एक षिक्षित नागरिक को अपना जीवन असुरक्षित लगने लगा है। अब कहां, कैसे, कौन उनकी जान-माल की हानि हेतु ये बड़ा अनिष्चित व असुरक्षित सा हो गया है। यह प्रष्न सिर्फ नौकरी पेषा वाले व्यक्ति के साथ नहीं बल्कि समस्त समुदाय व हर वर्ग से जुड़ा है। आए दिन अखबारों में छपा होता है कि अमुक षहर में या अमुक इलाके में दिन दहाड़े चोरी या लूटपाट हो गई। सनसनीयखेज हत्या हो गई। किसी बच्चे का बदमाषों ने अपहरण कर लिया। किसी जवान लड़की का बलात्कार कर दिया गया और बदमाष अपना काम करके निर्भय होकर भाग खड़े हुए। इस तरह की घटनाएं आए दिन घटती रहती है और पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने के अलावा और कोई चारा नजर नहीं आता। अधिकांष मामलों में पुलिस भी अपराधीयों को पकड़ने में असफल सिद्ध होती है या फिर सही वक्त पर रिपोर्ट दर्ज न हो पाने के कारण या फिर किसी तरह के विलंब के कारण अपराधी पुलिस की पहुंच से बाहर निकल चुका होता है।
अपराध अधिकांष असुरक्षित व असावधान के साथ ही घटित होते हैं यह एक सर्वमान्य सत्य है। सतर्क व सावधान व्यक्ति कम ही अपराध की चपेट में आते हैं। उदाहरण के तौर पर यदि हम सड़क के नियमों का पालन करते हुए अपनी ही लेन में सावधानी से चले तो दुर्घटना होना अपवाद ही होगा। ठीक इसी तरह हम अपने निवास-स्थान या कार्य-स्थल को सुरक्षा की दृश्टि से गठित रखेंगे तो किंचित ही दुर्घटना होगी। इसी सावधानी व सुरक्षा के लिए आज कल विभिन्न सिक्योरिटी व खुफिया कंपनियां अपनी सेवाएं प्रदान कर रही है, जिनके तहत वह अपनी हर संभव सिक्योरिटी सेवा से जान-माल व दफ्तर-दुकान ही सुरक्षा करती है।
दिल्ली व अन्य बड़े षहरों में ही ऐसी कई बड़ी सुरक्षा व खुफिया कंपनियां व्यापकस्तर पर अपनी सेवाएं प्रदान कर रही हंै। आमतौर पर देखा जाता है कि कई दफ्तरों, बिल्डिंगों, होटलों, हस्पतालों, प्राइवेट कंपनियों व कोठियों में गेट पर अपनी सतर्कता से विषेश प्रकार की सुरक्षात्मक वर्दी में, सेना की जवान की तरह सीना तान कर व हाथ में बंदूक लिए चैंकन्नी नजरों से पहरा देते हुए सिक्योरिटी गार्ड खड़े हुए दिख जाएंगे। दिल्ली में कई सुरक्षा कंपनियां अपना यह कार्य कर रही हैं। यह सिक्योरिटी कंपनियां अपना कार्य बड़े नियोजित व कुषल तरीके से करती हैं। इसके मुख्यतः दो विभाग होते हैंः एक, सिक्योरिटी और दूसरा डिटेक्षन (खोजबीन)। यह दोनों कार्य बड़े व्यापक स्तर पर अपने प्रषिक्षित गार्डस् और खुफिया जासूसों द्वारा बड़ी सूझबूझ और एवम् बहादुरी से सुलझा लिए जाते हैं। पहली टीम में इनके सुरक्षा गार्डस्, सुपरवाइजर, कैप्टन, मेजर आदि आते हैं। जिनका कार्य निचिष्त स्थलों पर पूरी बहादुरी व सजगता से पहरा देना व जान-माल की सुरक्षा करना होता है। किसी भी तरह की दुर्घटना या चोरी-झगड़े रोकने के अलावा यह सजग व चैकन्ने प्रहरी इस बात का भी ध्यान रखते हैं कि जहां पर इनकी सेवा नियुक्त की गई है वहां या आस-पास कोई संदेहास्पद या विस्फोटक पदार्थ तो नहीं क्योंकि इनकी जरा सी असावधानी या नजर चूक जाने पर बम-विस्फोट व जानलेवा दुर्घटना घटित हो सकती है।
इन खुफिया सुरक्षा कंपनियों की सेवाएं प्राप्त करना बड़ा ही आसान है। अपनी आवष्यकतानुसार इनके विभिन्न सर्विस केंद्रों पर फोन पर संपर्क करके सेवा प्राप्त की जा सकती है। समाचार पत्रों व दूरदर्षन के प्रसारण कार्यक्रमों में भी समय-समय पर इनका विज्ञापन निकलता रहता है। इन खुफिया सुरक्षा कंपनियों में अधिकांष पुलिस सेवानिवष्त्त अधिकारी व सजग सिपाही नियुक्त किए जाते हैं। इनका वेतन इनकी कार्यकुषलता, सक्षमता व अनुभव पर आधारित होता है। इन सुरक्षा गार्डों की सेवाएं वितरित करने वाली कंपनिया इनकी आठ घंटे की सेवा का लगभग 4000 रूपए मासिक वसूल करती है। जिसमें 15 से 20 प्रतिषत इनका सर्विस चार्ज होता है और बाकी सुरक्षा गार्ड का वेतन होता है।
दिल्ली मेें ही नहीं बल्कि देष के बड़े-बड़े षहरों में, व्यवसायिक स्थलों में, बड़े-बड़े षोरूम में प्राइवेट व सरकारी हस्पताल में, तीन व पांच सितारा होटलों में व सरकारी अधिकारियों की काॅलोनियों में मुख्य गेट पर व घरों के गेट पर यह सजग प्रहरी दिन-रात पहरा देते मिल जाएंगे। सुरक्षा प्रषिक्षण के साथ-साथ इन्हें फायरिंग का भी प्रषिक्षण प्राप्त होता है, जिसमें इन्हें अचानक बिल्डिंग में आग लगने पर काबू पाना सिखाया जाता है। किसी भी तरह की दुर्घटना होने पर उस पर कैसे नियंत्रण किया जाए यह भी सिखाया जाता है। दुर्घटना होने से पूर्व की स्थिति पर नियंत्रण पाना भी इनके प्रषिक्षण का एक अंग है। आपको अपने इर्द-गिर्द ऐसे कई मामले देखने को मिल जाएंगे। जिन्होंने अपनी समस्याएं इन कंपनियों द्वारा सुलझाई है। मुख्यतः विवाह-पूर्व लड़के या लड़की के बारे में जांच पड़ताल करना कि वह क्या करता है, कितना पढ़ा लिखा है, उसका चरित्र कैसा है, उसके यार दोस्त या मिलने-जुलने वाले किस तरह के आदमी हैं, किसी गलत सोसाइटी या किसी नषे आदि का षिकार तो नहीं है, उसका बैंक बैलेंस व पैतृक संपत्ति किस तरह की है, कहीं उसका पूर्व विवाह तो नहीं है ? या किसी के साथ प्रेम व अवैध संबंध तो नहीं है। यहां तक की उसका खूबियों व आदत क्या है ? आदि का भी यह खुफिया और सुरक्षा संस्थाएं पता लगा लेती हैं।
इसके अलावा रोजगार संबंधी जांच-पड़ताल, ट्रेड मार्क, संपत्ति आदि की जांच पड़ताल जैसे चोरी, अपहरण, वैवाहिक, तालाक आदि के केस भी यह डिटेक्टिव एजंसी बखूबी व अल्पकाल में सुलझाकर षिकायतकर्ता की समस्या हल कर देती है। तब जन सामान्य के समय के साथ पैसे की बर्बादी से भी बचती है। इसकी सेवाएं वाकई में लाभदायक व सुरक्षात्मक दृश्टि से हितकर सिद्ध होती है। तीसरा मुख्य कार्य आता है। इनकी प्रषिक्षण योजनां जिसके अंतर्गत कई प्रमुख खुफिया व सुरक्षा कंपनी प्रषिक्षण कार्यक्रम आरंभ किए हुए है। जिमें मुख्य हैं; 1 व्यावसायिक कोर्स 2 पत्राचार कोर्स (प्राइवेट इन्वेस्टीगेषन) 3 काॅरपोरट व इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी कोर्स 4 फायर-फायरिंग मैनेजमेंट कोर्स 5 पत्रकारिता (हिंदी-इंगलिष) कोर्स
जो युवक पुलिस या सेना में किसी कारण भर्ती नहीं हो सकें वे इन कंपनीयों में अपना भग्य आज़मा सकते हैं। यह सभी कोर्स पत्रचार द्वारा प्रदान किए जाते हैं, जिनकी प्रषिक्षण अवधि 6 माह से 1 वर्श तक सीमित होती है। तथा सभी पाठक सामग्री पत्राचार द्वारा डाक व्यय पर डाक द्वारा विद्यार्थियों को भेजी जाती है। विभिन्न विशयों के साथ अलग-अलग फीस निर्धारित होती है। इस तरह यह डिटेक्टिव एण्ड सिक्योरिटी सर्विसेज अपनी सेवाओं सुविधाओं से लाभांवित के साथ-साथ जटिल आपराधिक केसों को सुलझाने के साथ-साथ सुरक्षा का भी कार्य करती है। पुलिस की सेवा के बाद दूसरा स्थान इन डिटेक्टिव एण्ड सिक्योरिटी सर्विसेज प्रा.लि. कंपनी का आता है। अतः यह कहना अतिष्योक्ति नहीं होगा कि सुरक्षा की दृश्टि से व खुफिया जांच-पड़ताल के लिए इनसे बढ़कर कोई और दूसरा सेवा नहीं।