Monday, March 18, 2019

नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली चली हज को

पाठकों को याद होगा कि जब चंद्रशेखर जी प्रधानमंत्री थे, तो हमारे देश का सोना इंग्लैंड के पास गिरवी रखकर, तेल और गैस के बिल का भुगतान किया गया था। दूसरे शब्दों में यह कहा जाऐ कि विकासशील देशों की इकॉनोमी और महगाई दर पैट्रोल और गैस की इंटरनेशनल कीमतों से जुड़ी रहती है। उदाहरण के तौर पर हमारे देश का करीब आधा जीडीपी क्रूड आयल और गैस के आयात में चले जाता है। स्पष्ट शब्दों में कहा जाए, तो आयल और गैस के आयात के बदले में हर साल ‘मिडिल ईस्ट’ के देशों को करीब दस लाख करोड़ रूपये की भारी भरकम रकम भारत अदा करता है। पिछले पांच साल में मोदी सरकार ने करीब 50 लाख करोड़ रूपये इस मद में खर्च किये हैं।
अब प्रश्न ये पैदा होता है कि क्या ये पैसा बचाया जा सकता था? क्या हमारे देश में तेल और गैस के भंडार पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं थे? तो इसका उत्तर है कि हमारे देश में तेल और गैस के भंडार पर्याप्त मात्रा से भी ज्यादा मौजूद हैं। 24 अक्तूबर 2016 को इसी कॉलम के माध्यम से हमने इसका उल्लेख भी किया था मगर सत्ता में बैठे चार-पांच व्यक्तियों की हवस ने 130 करोड़ भारतीयों की जेब के ऊपर 5 साल तक डाका डाला। आज की तारीख में हमारे देश में उपलब्ध तेल और गैस के भंडारों में से सिर्फ 15 प्रतिशत उत्खनन किया जा रहा है। बाकी 85 प्रतिशत को जानबूझकर छेड़ा नहीं जा रहा। अब जब लोकसभा के चुनाव घोषित हो गए हैं, तो मोदी जी ने तेल और गैस की पॉलिसी में जो संशोधन 2014 में करना था, वो 11 मार्च 2019 को एक अधिसूचना जारी करके कर दिया। इस अधिसूचना से पहले कैबिनेट में 28 फरवरी 2019 को अरूण जेटली के नेतृत्व ये संशोधन करने का फैसला लिया गया। ये संशोधन जानबूझकर 5 साल तक इस तथाकथित ईमानदार मोदी सरकार ने लंबित रखा। 4-5 ताकतवर लोगों ने अपनी धन की हवस को पूरा करने के लिए इस गरीब देश को मिडिल ईस्ट के शेखों के हाथों लुटवा दिया।
दरअसल तेल और गैस के उत्पादन के बारे में एक बहुत बड़ी गलतफहमी है, कि तेल और गैस लाखों सालों के अंतराल में बहुत थोड़ी मात्रा में बनता है। पर ‘केन उपनिषद्’ के एक आख्यान में अग्नि देवता के द्वारा इस गलत धारणा का खुलासा किया गया है। उसी ज्ञान को अमरिका के दो वैज्ञानिकों ने प्रयोग किया, 20 साल तक मिडिल ईस्ट के तेल व गैस के कुंओं में रिसर्च करते रहे, तो उनको पता चला कि तेल और गैस किसी सबडक्शन जोन में जहां मैग्मा 1200 डिग्री सैंटीग्रेड का उपलब्ध होता है, वहां पर एक सैकेंड में भारी भरकम मात्रा में बनते हैं। इसको हम विज्ञान की भाषा में ‘इनआर्गेनिक’ तेल और गैस के बनने की विधि कहते हैं।
सौभाग्य की बात है कि यही परिस्थिति हमारे देश में अंडमान निकोबार द्वीप समूह में भी उपलब्ध है। आज से 30 साल पहले अमरिका के दो वैज्ञानिकों ने मिडिल ईस्ट के तेल के कुंओं में एक अजीब बात देखी, कि तेल के कुंए को साल के शुरू में जितना मापा जाता था। सारा साल तेल के कुंए से तेल निकालने के बाद भी साल के अंत में तेल पहले से बढ़ा हुआ मिलता था। इस अजूबे को देखने के बाद अमरिका के वैज्ञानिकों ने दुनिया के सामने एक घोषणा की मिडिल ईस्ट के तेल के कुंए कभी भी खाली नहीं होंगे। इसी बात को जब वैदिक विज्ञान के परिपेक्ष में खंगाला गया, तो पता चला कि विश्व के पास सिर्फ 50 साल का तेल का स्टॉक नहीं है, बल्कि इसके विपरीत 200 करोड़ साल का तेल और गैस मौजूद है। अगर पूरे विश्व की 800 करोड़ की जनसंख्या प्रतिदिन बाल्टियां भर-भरके तेल से नहाना शुरू कर दे, तो भी 200 करोड़ वर्ष तक उनको धरती माता और अग्नि देवता तेल और गैस की आपूर्ति करते रहेंगे।
आप जानना चाहेंगे कि ये चमत्कारी ‘इनआर्गेनिक’ तेल बनने की विधि क्या है। दुनिया के सभी सबडक्शन जोन्स में जब चूने (कैल्शियम कार्बोनेट) की सतह 1200 डिग्री से.गे. के मैग्मा में प्रवेश करती है, तो कैल्शियम, कार्बन, आक्सीजन अलग-अलग हो जाते हैं। इसी प्रकार जब समुद्र का जल (एच2ओ) 1200 डिग्री मैग्मा के संपर्क में आता है, तो हाईड्रोजन और आक्सीजन अलग-अलग हो जाते हैं। तत्काल कार्बन और हाईड्रोजन मिलकर हाईड्रो कार्बन बन जाता है। जिसको साधारण भाषा में कू्रड आयल और गैस कहते हैं। गौर से देखा जाए तो ये विधि विश्व के सभी सबडक्शन जोन्स के आलवा सी-सप्रेडिंग सेंटर्स’, हॉट-स्पॉट्स, रिफ्ट्स में भी उपलब्ध है।
पाठकों को हम यह बता दें कि जो धीमी गति से तेल और गैस बनने की प्रक्रिया है, उसके अंदर भी इसी प्रक्रिया का जिसको हम विज्ञान की भाषा में मेटार्मोफिस्म (रूपांतरण) उसी का योगदान है।
भारतवासियों को हम बधाई देना चाहते हैं कि आने वाले कुछ ही वर्षों में भारत तेल और गैस का आयात बंद कर देगा और अपने ही देश में निकलने वाले तेल और गैस से हमारी जरूरत पूरी हो जाएगी और यहां तक कि अगर परिस्थितियां अनुकूल रही, तो भारत तेल और गैस का निर्यात करने वाला देश भी बन जाएगा और भारत के सुपरपावर बनने के सपने साकार हो जाऐंगे।

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