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Monday, May 22, 2023

प्रश्न सनातन धर्म का ?


2024 का चुनाव सामने है। आरएसएस व भाजपा हिंदुत्व के एजेंडा पर ज़ोर-शोर से काम कर रही है। पहले ‘तशकान्त फ़ाइल्स’ फिर ‘कश्मीर फ़ाइल्स’ और अब ‘द केरल स्टोरी’ जैसी फ़िल्में योजना बद्ध तरीक़े से जारी की जा रही हैं और प्रधान मंत्री से लेकर मुख्य मंत्रियों तक ने इन फ़िल्मों को प्रचारित करने का जिम्मा ले लिया है। इन फ़िल्मों पर मनोरंजन कर से मुक्ति व प्रायोजित शो करवाकर दर्शकों को ये फ़िल्में दिखलाई जा रही है। जिसका एकमात्र लक्ष्य वोटों का ध्रुवीकरण करना है। आम भावुक दर्शक इन फ़िल्मों की पटकथा से निश्चित रूप से प्रभावित हो रहे हैं। ऐसी अभी कई फ़िल्में 2024 तक और जारी होंगी। इसके साथ ही नया संसद भवन और अयोध्या में श्री राम मंदिर बन कर तैयार होगा, जिसे बहुत आक्रामक मार्केटिंग नीति के तहत पूरी तरह भुनाया जाएगा।
 


बहुत से लोग देश-विदेश से संदेश भेज कर मुझ से मेरी राय पूछ रहे हैं। मैंने सोशल मीडिया पर उत्तर दिया कि, इसमें जो दिखाया है वो सत्य है। पर 32,000 लड़कियाँ बता कर प्रचार खूब किया। जब प्रमाण माँगे गये तो केवल 3 केस सामने आए। उसमें भी हिंदू लड़की केवल एक ही निकली। 



महिलाओं के साथ ऐसे अत्याचार सदियों से हर देश में  हर धर्म के लोग करते आये हैं। बीजेपी के मंत्री या नेताओं के भी किए व्यभिचार, बलात्कार और हत्याओं के मामले प्रायः सामने आते रहते हैं। उन पर कोई द रेप स्टोरी  क्यों नहीं बनती? उन खबरों को क्यों दबवा दिया जाता है? इसी तरह हर राजनीतिक दल के आपराधिक छवि वाले नेता, इस तरह के अपराधों में लिप्त रहते हैं। 


पर जो फ़िल्में आजकल बनवाई जा रही हैं वे एकतरफ़ा हैं, भड़काऊ हैं और अपने वोटों का ध्रुवीकरण करने के लिये राजनैतिक उद्देश्य से बनवायी गयी हैं। इनमें विषय संबंधी सभी तथ्यों को नहीं दिखाया जाता। जैसे कश्मीर फ़ाइल्स में ये नहीं दिखाया गया कि कश्मीर के आतंकवादियों ने आजतक कितने मुसलमानों की भी उसी तरह हत्याएँ कीं हैं और आज भी कर रहे हैं।


मेरी उपरोक्त टिप्पणी पर अधिकतर प्रतिक्रिया समर्थन में आईं। पर कुछ मशहूर लोगों ने, जो आजकल भाजपा के साथ खड़े हैं, ने मुझे याद दिलाया कि महिलाओं के प्रति अत्याचार के मामलों को कट्टरपंथी अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों द्वारा किए जा रहे सुनियोजित अभियान से तुलना नहीं की जा सकती। उनका यह भी कहना है कि ग़ैर भाजपाई सरकारों में मुसलमानों की आक्रामकता बढ़ जाती है और हिन्दुओं पर अत्याचार भी बढ़ जाते हैं। भाजपा की आई टी सेल 13 तारीख़ से हिंदुओं को कांग्रेस सरकार से डराने में जुट गयी है। ऐसी पोस्ट आ रही हैं, कर्नाटक में कांग्रेस के जीतने पर हिंदुओं के उपर हमले भी शुरू हो गए। क्योंकि जिहादियों को पता है अब इनकी सरकार है इसलिए अब इन पर कोई कार्रवाई नहीं होगी । 



फ्री के चक्कर में हिन्दुओं ने जिहादियों की सरकार को जिता दिया। अब आने वाले पूरे 5 वर्षों तक हिन्दूओं के साथ यही सब होने वाला है; पलायन, लव जिहाद, भू जिहाद, धर्मान्तरण, जैसी गंभीर समस्याओं से हिन्दुओं को सामना करना पड़ेगा। कांग्रेस को जिता कर हिन्दुओं ने अपनी आज़ादी, शांति के अवसर खो दिया। अब भुगतो हिंदुओ। भाजपा की आईटी सेल का ये एजेंडा बहुत ज़्यादा बढ़ा-चढ़ा कर प्रचारित किया जा रहा है। पर ऐसा नहीं है कि इन आरोपों में तथ्य नहीं हैं। चुनाव जीतने के लिए सांप्रदायिक या जातिगत तुष्टिकरण करने में कोई राजनैतिक दल पीछे नहीं रहता। भाजपा भी नहीं, और उसी का परिणाम है कि चुनाव जीतने के बाद सत्तारूढ़ दल को अनेक विवादास्पद मामलों में यात ओ अपने आँख और कान बंद करने पड़ते हैं या समझौते करने पड़ते हैं।  जिसका भरपूर प्रचार करके विरोधी दल फ़ायदा उठाते हैं। 



जो लोग अंतर्राष्ट्रीय इस्लामिक आतंकवाद से लड़ने और भारत की सनातन हिन्दू संस्कृति को बचाने के लिए केवल भाजपा और आरएसएस को ही सक्षम विकल्प मानते हैं उनसे मेरा कोई बहुत मतभेद नहीं रहा है। पर विगत वर्षों के अनुभव ने, अनेक घटनाओं व कारणों से भाजपा व संघ की क्षमता के बारे में संदेह पैदा कर दिये हैं। ये दोनों संगठन आजतक इस बात को परिभाषित नहीं कर पाए कि हिंदू राष्ट्र से इनका आश्रय क्या है? ये कैसा हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं? जिस सनातन संस्कृति का हम सब हिंदू दंभ भरते हैं उसके किसी भी सिद्धांत, शास्त्र, परंपराओं व आस्थाओं से संघ और भाजपा का दूर-दूर तक नाता नहीं है। वैदिक शास्त्रों की उपेक्षा, प्राण प्रतिष्ठित  देव विग्रहों व देवालयों पर बुलडोज़र चलाना, गौ मांस के व्यापार को प्रोत्साहित करना, सनातन धर्म के मूलाधार - चारों शंक्राचार्यों की उपेक्षा करना, वेतन दे कर संन्यासी बनाना, करोड़ों रुपये के चढ़ावे वाले मंदिरों पर अपने ट्रस्ट बना कर क़ब्ज़े करना और पारंपरिक सेवायतों को बेदख़ल करना, सनातन धर्म और तीर्थों की निष्ठा से सेवा करने वालों को अपमानित और हतोत्साहित करना क्या उचित है? इन सब धर्म-विरोधी कृत्यों को करने वाले क्या तालिबानियों से भिन्न आचरण कर रहे हैं? फिर हम जैसे आम सनातन धर्मियों से ये अपेक्षा क्यों की जाती है कि हम किसी दल या संगठन की राजनैतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए अपने आँख-कान बंद करके भेड़ों की तरह पीछे-पीछे चलें? 


चालीस बरस पहले जब मैंने पत्रकारिता शुरू की थी तब भाजपा के दो ही बड़े नेता होते थे; अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी। तब आरएसएस को एक त्यागी, समाजसेवी व तपस्वियों का संगठन माना जाता था। बाद में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन से जब भाजपा कि पकड़ हिंदू मतदाताओं पर बढ़ी तो नारा दिया गया, ‘पार्टी विद् ए डिफरेंस’ यानी मेरी क़मीज़ बाक़ी दलों की क़मीज़ से ज़्यादा साफ़ है। पिछले दशक में हर वो राजनेता जिसके ख़िलाफ़ भाजपा ने भ्रष्टाचार के तमाम आरोप लगाए, वो सब आज उसके साथ मिल कर सरकार चला रहे हैं या भाजपा में शामिल हो गये हैं। इसलिए महंगाई, ग़रीबी, बेरोज़गारी, शासन में व्याप्त भ्रष्टाचार, अपराधियों को राजनैतिक संरक्षण, अपनी कार्यप्रणालियों में पारदर्शिता का अभाव और जनता के प्रति जवाबदेही से बच कर शासन चलाने के कारण सत्तारूढ़ दल को विपक्ष की जो आलोचना झेलनी पड़ती है, उन विषयों को अगर हम न छुएँ तो भी सनातन धर्म को लेकर जो प्रश्न यहाँ उठाए हैं उनका तो उत्तर मिलना चाहिए।     

Monday, May 15, 2023

बचाओ - बचाओ भेड़िया आया !


भारत की सनातन वैदिक संस्कृति अनेक अर्थों में विश्व की सर्वश्रेष्ठ संस्कृति है। क्योंकि ये व्यक्ति, पर्यावरण व समाज के बीच संतुलन पर आधारित जीवन मूल्यों की स्थापना करती है। भारत विश्व गुरु था इसके तमाम ऐतिहासिक प्रमाण हैं जिन्हें हज़ारों वर्षों से भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों ने अपने लेखन में उल्लेख किया है। विसंगतियां भी हर समाज में होती हैं। भारत इसका अपवाद नहीं है। यह भी सही है कि अंग्रेज इतिहासकारों और आज़ादी के बाद वामपंथी इतिहासकारों ने ऐतिहासिक तथ्यों को अपनी विचारधारा के अनुरूप तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया। इसलिए सनातनी मानसिकता के लोगों के मन में ये बात हमेशा से बैठी रही कि उनके इतिहास के साथ न्याय नहीं हुआ। अचानक 2014 से ये दबी भावनाएँ अब मुखर हो गईं हैं।



अपने धर्म, संस्कृति और इतिहास की श्रेष्ठता को बताना और स्थापित करने में कोई बुराई नहीं है। ये किया ही जाना चाहिए। पर ऐसा करते समय उत्साह के अतिरेक में अगर हम तथ्यों से छेड़छाड़ करेंगे, अपने विपक्षियों के ऊपर हमला करते समय उनकी उपलब्धियों को वैसे ही छिपाएँगे जैसे वे करते आए हैं और उन पर झूठे आरोप मढ़ कर या उन्हें बदनाम करने की दृष्टि से उन पर हमला करेंगे, तो हमारी ये क़वायद सफल नहीं होगी। हम उपहास के पात्र बनेंगे। हमारे दावों की पुष्टि न हो पाने पर हम झूठे सिद्ध हो जाएँगे और फिर हमारी सही बात भी ग़लत कही जाएगी। आज के दौर में सूचना तकनीकी का इतना विस्तार हो गया है कि दुनिया के किसी भी कोने में बैठा व्यक्ति किसी भी दावे की वैधता को क्षणों में चुनौती दे सकता है, अगर वो दावा सत्य नहीं है। 


ट्विटर पर पोस्टों को खंगालते समय मेरी निगाह ‘सनातनी पूर्णिमा’ की इस पोस्ट पर अटक गई, जिसमें लिखा था, वियतनाम विश्व का एक छोटा सा देश है जिसने अमेरिका जैसे बड़े बलशाली देश को झुका दिया। लगभग बीस वर्षों तक चले युद्ध में अमेरिका पराजित हुआ। अमेरिका पर विजय के बाद वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष से एक पत्रकार ने एक सवाल पूछा... आप युद्ध कैसे जीते या अमेरिका को कैसे झुका दिया? उत्तर सुनकर आप हैरान रह जायेंगे और आपका सीना भी गर्व से भर जायेगा। उत्तर था, सभी देशों में सबसे शक्ति शाली देश अमेरिका को हराने के लिए मैंने एक महान व श्रेष्ठ भारतीय राजा का चरित्र पढ़ा और उस जीवनी से मिली प्रेरणा व युद्धनीति का प्रयोग कर हमने सरलता से विजय प्राप्त की। आगे पत्रकार ने पूछा, कौन थे वो महान राजा? वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष ने खड़े होकर जवाब दिया, वो थे भारत के राजस्थान में मेवाड़ के महाराजा महाराणा प्रताप सिंह (ये सिंह कबसे जुड़ गया?)। महाराणा प्रताप का नाम लेते समय उनकी आँखों में एक वीरता भरी चमक थी, आगे उन्होंने कहा, अगर ऐसे राजा ने हमारे देश में जन्म लिया होता तो हमने सारे विश्व पर राज किया होता। कुछ वर्षों के बाद उस राष्ट्राध्यक्ष की मृत्यु हुई तो जानिए उसने अपनी समाधि पर क्या लिखवाया, यह महाराणा प्रताप के एक शिष्य की समाधि है। कालांतर में वियतनाम के विदेशमंत्री भारत के दौरे पर आए थे। पूर्व नियोजित कार्य क्रमानुसार उन्हें पहले लाल किला व बाद में गांधीजी की समाधि दिखलाई गई। ये सब दिखलाते हुए उन्होंने पूछा मेवाड़ के महाराजा महाराणा प्रताप की समाधि कहाँ है? तब भारत सरकार के अधिकारी चकित रह गए, और उन्होंने वहाँ उदयपुर का उल्लेख किया। वियतनाम के विदेशमंत्री उदयपुर गये, वहाँ उन्होंने महाराणा प्रताप की समाधि के दर्शन किये। समाधि के दर्शन करने के बाद उन्होंने समाधि के पास की मिट्टी उठाई और उसे अपने बैग में भर लिया। इस पर पत्रकार ने मिट्टी रखने का कारण पूछा। उन विदेशमंत्री महोदय ने कहा ये मिट्टी शूरवीरों की है इस मिट्टी में एक महान् राजा ने जन्म लिया ये मिट्टी मैं अपने देश की मिट्टी में मिला दूंगा ताकि मेरे देश में भी ऐसे ही वीर पैदा हों। मेरा यह राजा केवल भारत का गर्व न होकर सम्पूर्ण विश्व का गर्व होना चाहिए। 



इस पोस्ट को पढ़ कर उत्साही लोगों ने बढ़-चढ़ कर हर्ष और गर्व अभिव्यक्त करना शुरू कर दिया। उत्सुकतावश मैंने भी गूगल पर जा कर जब खोज की तो पता चला कि जो सूचना दी गयी है उसमें वियतनाम के ऐसे किसी राष्ट्रपति का ज़िक्र नहीं है जो महाराणा प्रताप से प्रेरित रहा हो या उनका विदेश मंत्री उदयपुर गया हो। तब मैंने इस दावे के प्रमाण की माँग करते हुए अपनी प्रतिक्रिया लिखी। कुछ और खोज करने पर पता चला कि पिछले वर्ष ऐसा ही दावा छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में भी किया गया था। उसमें भी प्रमाण माँगने पर दावा करने वाला प्रमाण नहीं दे पाया। वियतनाम घूम कर आए एक व्यक्ति ने तो साफ़ लिखा कि वियतनाम में ऐसी किसी घटना की कोई जानकारी नहीं है। एक और व्यक्ति ने लिखा की वियतनाम के संघर्ष के नेता और लंबे समय तक वहाँ के प्रधान मंत्री रहे हो चि मिन्ह धुर वामपंथी थे और उनके किसी लेख या भाषण में महाराणा प्रताप या शिवाजी का कोई उल्लेख नहीं है। इससे तो यही सिद्ध होता है कि ये ‘ह्वाट्सऐप विश्वविद्यालय’ की ही खोज है जिसका तथ्यों से कोई लेना-देना नहीं है।



वियतनाम का तो ये एक उदाहरण है। अपने राजनैतिक विरोधियों की छवि नष्ट करने के लिए और उनकी उपलब्धियों को नकारने के लिए ऐसी पोस्ट सारा दिन दर्जनों की तादाद में आती रहती हैं। बिना उनकी सत्यता परखे समाज का एक हिस्सा उन्हें फॉरवर्ड करने में जुट जाता है। जिससे कुछ समय बाद झूठ सच लगने लगता है। पर जब कोई ऐसे मूर्खतापूर्ण व द्वेषपूर्ण दावों की पड़ताल करता है और उन्हें झूठा सिद्ध कर देता है तो सामने की तरफ़ सन्नाटा छ जाता है। न उत्तर दिया जाता है और न ही अपने अपराध के लिए क्षमा माँगी जाती है। ये सिलसिला यूँ ही चलता जा रहा है। समझ में नहीं आता कि सैंकड़ों करोड़ रुपये खर्च करके आईटी सेल चलाने वाले राजनैतिक संगठन या दल ऐसा झूठ फैला कर क्या हासिल करना चाहते हैं? इससे उनकी विश्वसनीयता तेज़ी से घटती जा रही है। वो दिन दूर नहीं जब ऐसा भ्रम फैलाने वालों की भी वही गति होगी जो उस भेड़ चराने वाले लड़के की हुई थी जो बार-बार झूठा शोर मचाता था, बचाओ-बचाओ भेड़िया आया