अयोध्या
में हाल में मनाई भव्य दीपावली की तर्ज पर योगी सरकार 60 करोड़ रुपया खर्च करके इस बार बरसाना की लठमार होली मनाने
जा रही है। जिससे ब्रज के संत और भक्त समाज में काफी चिंता देखी जा रही है। ब्रज
में माधुर्य भाव और ऐश्वर्य भाव से रसोपासना होती है। नंदगांव और बरसाने के बीच
होली माधुर्य रस की उपासना का अंग है। जिसकी परंपरा 5000 वर्ष प्राचीन है। जिसकी बारीकी से जानकारी शायद उन लोगों
को नहीं है, जिन्होंने योगी जी को
बरसाना में भव्य होली आयोजन का सुझाव दिया। क्योंकि इस परंपरा में जो रस है, उसे स्थानीय गोस्वामी गण, उनके परिवार, संतगण व ब्रजवासी ही प्रस्तुत कर सकते हैं। बाहर से आने
वाले व्यवसायी कलाकार नहीं। जैसी घोषणा हुई है।
इस
रसोपासना के अंतर्गत होली एक महीने चलती है और हर दिन उसका स्वरूप और भाव भिन्न
होता है। इसके साहित्य का गहरा सागर है। रंगीली होली उसका एक छोटा भाग है। जो पहले
ही विश्व प्रसिद्ध है और इसे देखने दूर-दूर से भक्त और अंतराष्ट्रीय मीडिया हर
वर्ष यहां आता है। पर इसके स्वरूप से कभी छेड़-छाड़ नहीं की गई। आज से 43 वर्ष पूर्व उ.प्र. के
राज्यपाल डा. एम चेन्ना रेड्डी प्रतिवर्ष श्रद्धा से रंगीली होली देखने बरसाना आते
थे। तब से सदा ही ऐसे विशिष्ट अतिथि यहां आते रहे हैं। पर जिस तरह का आयोजन इस
वर्ष योगी सरकार करने जा रही है, उससे
नंदगांव और बरसाना का संत, भक्त व
गोस्वामी समाज ही नहीं बल्कि पूरा ब्रजमंडल बहुत चिंतित है।
रमणरेती, गोकुल, के
संत काष्र्णि गुरूशरणानंद जी के शिष्य व ब्रज की संस्कृति पर कई दशकों से गहराई से
शोध करने वाले, इसके संरक्षण के
अंतिम स्तंभ, श्री मोहन स्वरूप
भाटिया (मथुरा) का कहना है कि ‘‘इस आयोजन से बरसाना की होली की परंपरा को भारी
ठेस लगेगी और संतो, भक्तों और रसिकाचार्यों की उपेक्षा होगी। किराये के कलाकार
और तमाशे बरसाने की होली का रंग-भंग कर देंगें। उ.प्र. सरकार
को अगर ऐसा आयोजन करना ही है, तो
लखनऊ या दिल्ली में करे। बरसाना की होली का विनाश न करे।’’
उधर
पीली पोखर (बरसाना) पर रहने वाले बाबा महाराज भी इस घोषणा से व्यथित हैं। बाबा का
कहना है कि, ’’इस पूरे
आयोजन से बरसाना की होली का रस भंग हो जायेगा, जो माधुर्य उपासना की एक गहरी परंपरा का अंग है। इस आयोजन
से संतों,
गोस्वामीगणों, भक्तों और ब्रजवासियों का अपमान होगा और उनको भारी ठेस
लगेगी।’’
बरसाना
के क्रांतिकारी युवा पद्म फौजी का कहना है कि, ‘‘जितना रूपया इस आयोजन में खर्च किया जायेगा, उतने में तो पूरा बरसाना चमक सकता है, अगर संजीदगी से योजना बनाई जाए तो। पर वैसे नहीं जैसे अभी
काम चल रहा है।’’ बरसाना के किसान भी इस आयोजन के विरूद्ध हैं और बार-बार प्रशासन
से गुहार लगा रहे हैं, पर उनकी
सुनी नहीं जा रही। उनकी खड़ी फसल पर बुल्डोजर चल रहे हैं।
जब
से यह समाचार प्रसारित हुआ है, पूरे
ब्रजमंडल के अनेक लोगों ने इसका विरोध प्रगट किया और मुख्यमंत्री तक उनकी पीड़ा
पहुंचाने का अनुरोध किया। जब ब्रजसेवा के हमारे प्रेरणा स्त्रोत बरसाना के विरक्त
संत श्रद्धेय श्री रमेश बाबा से मैंने पूछा कि इस विषय में उनका क्या विचार है, तो वे बोले-
"कबिरा
तेरी झोपड़ी,
गल
कटियन के पास।
जो
करेगा सो भरेगा,
तू
काहे होत उदास।।"
वैसे
भी बाबा कहते हैं कि ब्रज में तो श्री कृष्ण भी ऐश्वर्य त्यागकर गवारिया बनकर रहे।
उसी भाव से आना चाहिए। यहां तो हिंदुस्तान का बादशाह अकबर भी राजसी भेष त्यागकर
स्वामी हरिदास जी के दर्शन करने आया था।
योगी
जी ने सदियों से उपेक्षित अयोध्या में जिस उत्साह से दीपावली मनाई, उसकी प्रशंसा मैंने अपने पिछले लेख में की थी। पर ब्रज तो
पहले ही विश्वभर में आकर्षण का केंद्र है और इसकी उपेक्षा अयोध्या की तरह नहीं हुई
है। इसलिये ब्रज का भाव समझे बिना, ब्रज के विकास की बड़ी- बड़ी योजनाऐं बनवाना और ऐसे भव्य
कार्यक्रम आयोजित करना, यहां की
समृद्ध भक्ति परंपराओं का स्थाई विनाश करने से कम नहीं होगा।
अगर
बरसाना की मौजूदा सकरी गलियों में यह
विशाल आयोजन किया जाता है, तो भीड़
में दुर्घटना की पूरी संभावना रहेगी। अगर आयोजन के लिए फरमान जारी कर रंगीली गली
की तोड-फोड़ की जाती है, तो
बरसाना का मौलिक स्वरूप नष्ट हो जायेगा। जिसे देखने दुनिया भर से भक्त यहाँ आते
हैं। इसलिये ब्रजवासियो की योगी जी से प्रार्थना है कि होली का प्रस्तावित आयोजन
बरसाना के किसी विशाल मैदान में करें तो
उनका उद्देश्य भी पूरा हो जायेगा और संतगणों, भक्तगणों व ब्रजवासियों की भावना भी आहत नहीं होगी।
चिंता
की बात है कि जिन लोगों से योगी सरकार ब्रज विकास की योजनाऐं बनवा रही है, वे बिना ब्रज की संस्कृति और भावना को समझे, उत्साह के अतिरेक में, वह सब कर रहे हैं, जिससे ब्रज संस्कृति का संरक्षण नहीं होगा, विनाश ही होगा। इसके अनेक प्रमाण हैं। गोवर्धन परिक्रमा के
लिए छह महीने पहले ऐसे ही हजारो-करोड़ रूपये के एक बड़े कुप्रयास के विरूद्ध समय
रहते मैंने योगी जी को सावधान किया था। उस पर मेरा यहां लेख भी छपा था। आभारी हूं
कि उन्होंने तुरंत हमारी चिंता पर ध्यान दिया और उसे वहीं रोक दिया।
वरना जयपुर के एक स्थापित घोटालेबाज के हाथों गोवर्धन की परिक्रमा का विनाश हो
जाता। आशा है वे अब भी हमारी विनम्र प्रार्थना पर गंभीरता से ध्यान देंगे और इस
आयोजन से जुड़े निहित स्वार्थों के प्रभाव में आए बिना ब्रज की हजारों वर्ष प्राचीन
संस्कृति का सम्मान करते हुए उचित निर्णय लेंगे।