जिस दिन आदित्यनाथ योगी जी की शपथ हुई, उस दिन व्हाट्सएप्प पर एक मजाक चला, जिसमें दिखाया गया कि आडवाणी जी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कंधे पर हाथ रखकर कह रहे हैं कि ‘आज तूने वही गलती कर दी, जो मैने तूझे गुजरात का मुख्यमंत्री बनाकर की थी’। ये एक भद्दा मजाक था। ये उस शैतानी दिमाग की उपज है, जो भारत में सनातनधर्मी मजबूत नेतृत्व को उभरते और सफल होते नहीं देखना चाहता। जबकि सच्चाई ये है कि मोदी जी ने योेगी जी को उ.प्र. की बागडोर सौंपकर तुरूप का पत्ता फैंका है। देश की जनता तभी सुखी हो सकती है, जब प्रदेश की सरकार का नेतृत्व चरित्रवान और योग्य लोग करें। क्योंकि केंद्र की सरकार तो नीति बनाने का और साधन मुहैया करने का काम करती है। योजनाओं का क्रियान्वयन तो प्रदेश की नौकरशाही करती है। अगर वो कोताही बरतें तो जनता तक नीतियों का लाभ नहीं पहुंचता, जिससे जनाक्रोश पनपता है। आज के दौर में जब राजनीतिज्ञों को सफल होने के लिए चाहे-अनचाहे तमाम भ्रष्ट तरीके अपनाने पड़ते हैं, ऐसे में किसी नेता से ये उम्मीद करना कि वो रातों-रात रामराज्य स्थापित कर देगा, काल्पनिक बात है। जैसा कि हमने पहले भी लिखा है कि साधन संपन्न तपस्वी योगी के भ्रष्ट होने का कोई कारण नहीं है। इसलिए वह ईमानदार रह भी सकता है और ईमानदारी को शासन पर कड़ाई से लागू भी कर सकता है। उ.प्र. की जो हालत पिछले दो दशकों से रही है, उसमें जनता को शासन से अपेक्षा के अनुरूप व्यव्हार नहीं मिला। ऐसे में उ.प्र. को योगी जी जैसेे मुख्यमंत्री का इंतजार था।
मोदी जी के इस कदम से उ.प्र. की हालत सुधरने की संभावनाऐं प्रबल हो गयी हैं। लेकिन ये काम 5 साल में भी पूरा होने नहीं जा रहा और जब तक उ.प्र. उत्तम प्रदेश नहीं बनेगा तब तक योगी जी परीक्षा में पास नही होंगें। ऐसे में उन्हें कम से कम अगले 10 साल उत्तर प्रदेश को तेज विकास के रास्ते से ले जाना होगा। उ.प्र. की नौकरशााही का तौर-तरीक बदलना होगा। उसमें जनता के प्रति सेवा का भाव लाना होगा। ये काम एक-दो दिन का नहीं है। आज योगी जी की आयु मात्र 45 वर्ष है। 10 वर्ष बाद, वे मात्र 55 वर्ष के होंगें। जबकि मोदी जी 75 वर्ष के हो जायेंगे। तब वो समय आयेगा, जब योगी जी राष्ट्रीय भूमिका के लिए उपलब्ध हो सकेगें। इस तरह मोदी जी ने आम जनता के मन में जो प्रश्न था कि उनके बाद कौन, उसे भी इस कदम से दूर कर दिया है। क्योंकि यह सवाल उठना स्वभाविक था कि मोदी के बाद भारत को सशक्त नेतृत्व कौन देगा? अब उस प्रश्न का उत्तर मिलने की संभावना प्रबल हो गयी है।
वैसे भी राष्ट्रीय राजनीति में पदार्पण करने से पहले मोदी जी ने 15 वर्ष गुजरात की सेवा की। आज उन्होंने अपनी अंतर्राष्ट्रीय छवि बना ली है जबकि योगी जी के लिए सरकार चलाने का ये पहला अनुभव है। अभी उन्हें बहुत कुछ देखना और समझना है। इसलिए इस तरह के बेतुके मजाक करना, सिर्फ मानसिक दिवालियापन का परिचय देता है। वरना न तो मोदी को योगी से खतरा है और न योगी को मोदी से खतरा है। अगर खतरा होता तो अमित शाह जैसे मझे हुए शतरंज के खिलाड़ी ये मोहरा बिछाते ही नहीं।
1000 साल का मध्य युग, 200 साल का औपनिवेशक शासन और फिर 70 साल आजादी के बाद भारत की बहुसंख्यक हिंदू आबादी ने अपमान के घूंट पीकर गुजारे हैं। हमारी आस्था के तीनों केंद्र मथुरा, काशी और अयोध्या, आज भी हमें उस अपमान की लगातार याद दिलाते हैं। हमारी गौवंश आधारित कृषि, आर्युवेद व गुरूकुल शिक्षा प्रणाली की उपेक्षा करके, जो कुछ हम पर थोपा गया, उसे भारतीय समाज शारिरिक, मानसिक और नैतिक रूप से दुर्बल हुआ है। भैतिकतावाद की इस चकाचैंध में अब तो हमसे शुद्ध अन्न, जल, फल व वायु तक छीन ली गई है। हमारे उद्यमी और कर्मठ युवाओं को थोथी डिग्री के प्रमाण पत्र पकड़ाकर, नाकारा बेरोजगारों की लंबी कतारों में खड़ा कर दिया गया है। न तो वो गांव के काम के लायक रहे और न शहर के। इन सारी समस्याओं का हल हमारी शुद्ध सनातन संस्कृति में था, और आज भी है। जरूरत है उसे आत्मविश्वास के साथ अपनाने की।
जब तक प्रदेशों और राष्ट्र के स्तर पर भारत के सनातन धर्म में आस्था रखने वाला राष्ट्रवादी नेतृत्व पदासीन नहीं होगा, तब तक भारत अपना खोया हुआ वैभव पुनः प्राप्त नहीं कर पायेगा। मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि अगर कर्नाटक के खानमाफिया रेड्डी बंधुओं या मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले जैसे कांड होंगे तो फिर सत्ता में कोई भी हो, कोई अंतर नहीं पड़ेगा। इसलिए जहां एक तरफ हर राष्ट्रप्रेमी भारत को एक सबल राष्ट्र के रूप देखना चााहता है। वहीं इस बात की सत्तारूढ़ दल की जिम्मेदारी है कि परीक्षा की घडी में सच्चाई से आंख न चुरायें और अपनी गल्तियों को छिपाने की कोशिश न करें।
मैं याद दिलाना चाहता हूं कि जब आतंकवाद और भ्रष्टाचार के विरूद्ध 1993 में मैंने हवाला कांड खोलकर, अपनी जान हथेली पर रखकर, पूरी राजनैतिक व्यव्यस्था से वर्षों अकेले संघर्ष किया था तब राष्ट्रप्रेमी शक्तियों ने केवल इसलिए चुप्पी साध ली क्योंकि हवाला कांड में लालकृष्ण आडवाणी जी भी आरोपित थे। जबकि कांगेस और दूसरे दलों के 53 से अधिक नेता अरोपित हुए थे। फिर भी मुझे कुछ लोगों ने हिन्दू विरोधी कहकर बदनाम करने की नाकाम कोशिश की जबकि मैं भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म के लिए हमेशा सीना तानकर खड़ा रहा हूं। यही वजह है कि नरेन्द भाई के प्रधानमंत्री बनने के 5 वर्ष पहले से ही, मैं उनके नेतृत्व का कायल था और उन्हें भारत की गद्दी पर देखना चाहता था। इसलिए हमेशा उनके पक्ष में लिखा और बोला। भारत की वैदिक परंपरा है कि अपने शुभचिंतकों की आलोचना को भगवत्प्रसाद मानकर स्वीकार किया जाए और चाटुकरों की फौज से बचा जाऐ। अगर मोदी जी और योगी जी इस सिद्धांत का पालन करेंगे तो उन्हें सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।
मोदी जी के इस कदम से उ.प्र. की हालत सुधरने की संभावनाऐं प्रबल हो गयी हैं। लेकिन ये काम 5 साल में भी पूरा होने नहीं जा रहा और जब तक उ.प्र. उत्तम प्रदेश नहीं बनेगा तब तक योगी जी परीक्षा में पास नही होंगें। ऐसे में उन्हें कम से कम अगले 10 साल उत्तर प्रदेश को तेज विकास के रास्ते से ले जाना होगा। उ.प्र. की नौकरशााही का तौर-तरीक बदलना होगा। उसमें जनता के प्रति सेवा का भाव लाना होगा। ये काम एक-दो दिन का नहीं है। आज योगी जी की आयु मात्र 45 वर्ष है। 10 वर्ष बाद, वे मात्र 55 वर्ष के होंगें। जबकि मोदी जी 75 वर्ष के हो जायेंगे। तब वो समय आयेगा, जब योगी जी राष्ट्रीय भूमिका के लिए उपलब्ध हो सकेगें। इस तरह मोदी जी ने आम जनता के मन में जो प्रश्न था कि उनके बाद कौन, उसे भी इस कदम से दूर कर दिया है। क्योंकि यह सवाल उठना स्वभाविक था कि मोदी के बाद भारत को सशक्त नेतृत्व कौन देगा? अब उस प्रश्न का उत्तर मिलने की संभावना प्रबल हो गयी है।
वैसे भी राष्ट्रीय राजनीति में पदार्पण करने से पहले मोदी जी ने 15 वर्ष गुजरात की सेवा की। आज उन्होंने अपनी अंतर्राष्ट्रीय छवि बना ली है जबकि योगी जी के लिए सरकार चलाने का ये पहला अनुभव है। अभी उन्हें बहुत कुछ देखना और समझना है। इसलिए इस तरह के बेतुके मजाक करना, सिर्फ मानसिक दिवालियापन का परिचय देता है। वरना न तो मोदी को योगी से खतरा है और न योगी को मोदी से खतरा है। अगर खतरा होता तो अमित शाह जैसे मझे हुए शतरंज के खिलाड़ी ये मोहरा बिछाते ही नहीं।
1000 साल का मध्य युग, 200 साल का औपनिवेशक शासन और फिर 70 साल आजादी के बाद भारत की बहुसंख्यक हिंदू आबादी ने अपमान के घूंट पीकर गुजारे हैं। हमारी आस्था के तीनों केंद्र मथुरा, काशी और अयोध्या, आज भी हमें उस अपमान की लगातार याद दिलाते हैं। हमारी गौवंश आधारित कृषि, आर्युवेद व गुरूकुल शिक्षा प्रणाली की उपेक्षा करके, जो कुछ हम पर थोपा गया, उसे भारतीय समाज शारिरिक, मानसिक और नैतिक रूप से दुर्बल हुआ है। भैतिकतावाद की इस चकाचैंध में अब तो हमसे शुद्ध अन्न, जल, फल व वायु तक छीन ली गई है। हमारे उद्यमी और कर्मठ युवाओं को थोथी डिग्री के प्रमाण पत्र पकड़ाकर, नाकारा बेरोजगारों की लंबी कतारों में खड़ा कर दिया गया है। न तो वो गांव के काम के लायक रहे और न शहर के। इन सारी समस्याओं का हल हमारी शुद्ध सनातन संस्कृति में था, और आज भी है। जरूरत है उसे आत्मविश्वास के साथ अपनाने की।
जब तक प्रदेशों और राष्ट्र के स्तर पर भारत के सनातन धर्म में आस्था रखने वाला राष्ट्रवादी नेतृत्व पदासीन नहीं होगा, तब तक भारत अपना खोया हुआ वैभव पुनः प्राप्त नहीं कर पायेगा। मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि अगर कर्नाटक के खानमाफिया रेड्डी बंधुओं या मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले जैसे कांड होंगे तो फिर सत्ता में कोई भी हो, कोई अंतर नहीं पड़ेगा। इसलिए जहां एक तरफ हर राष्ट्रप्रेमी भारत को एक सबल राष्ट्र के रूप देखना चााहता है। वहीं इस बात की सत्तारूढ़ दल की जिम्मेदारी है कि परीक्षा की घडी में सच्चाई से आंख न चुरायें और अपनी गल्तियों को छिपाने की कोशिश न करें।
मैं याद दिलाना चाहता हूं कि जब आतंकवाद और भ्रष्टाचार के विरूद्ध 1993 में मैंने हवाला कांड खोलकर, अपनी जान हथेली पर रखकर, पूरी राजनैतिक व्यव्यस्था से वर्षों अकेले संघर्ष किया था तब राष्ट्रप्रेमी शक्तियों ने केवल इसलिए चुप्पी साध ली क्योंकि हवाला कांड में लालकृष्ण आडवाणी जी भी आरोपित थे। जबकि कांगेस और दूसरे दलों के 53 से अधिक नेता अरोपित हुए थे। फिर भी मुझे कुछ लोगों ने हिन्दू विरोधी कहकर बदनाम करने की नाकाम कोशिश की जबकि मैं भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म के लिए हमेशा सीना तानकर खड़ा रहा हूं। यही वजह है कि नरेन्द भाई के प्रधानमंत्री बनने के 5 वर्ष पहले से ही, मैं उनके नेतृत्व का कायल था और उन्हें भारत की गद्दी पर देखना चाहता था। इसलिए हमेशा उनके पक्ष में लिखा और बोला। भारत की वैदिक परंपरा है कि अपने शुभचिंतकों की आलोचना को भगवत्प्रसाद मानकर स्वीकार किया जाए और चाटुकरों की फौज से बचा जाऐ। अगर मोदी जी और योगी जी इस सिद्धांत का पालन करेंगे तो उन्हें सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।
Very good article Vineet
ReplyDeleteVery very free and frank opinion, Vinietji.
ReplyDeleteRegards.
VIJAY PAL GOEL
Very very free and frank and correct opinion, Vinietji. Thanks and regards
ReplyDeleteVIJAY PAL GOEL
Absolutely Right , Yogi will capable after Modi.
ReplyDeleteVeer bhogya vasundhara
ReplyDeleteSri radhe