Monday, April 24, 2017

क्यों घुसना चाहता है वल्र्ड बैंक हमारे धर्मक्षेत्रों में?

Punjab Kesari 24 April 2017
ईसाईयों के विश्व गुरू पोप जब भारत आए थे, तो भारत सरकार ने उनका भव्य स्वागत किया था। परंतु पोप ने इसका उत्तर शिष्टाचार और कृतज्ञता के भाव से नहीं दिया बल्कि भारत के बहुसंख्यकों का अपमान एवं तिरस्कार करते हुए खुलेआम घोषणा की, कि हम 21वीं सदी में समस्त भारत को ईसाई बना डालेंगे। बहुसंख्यकों के धर्म को नष्ट कर डालने की खुलेआम घोषणा करना हमारी धार्मिक भावनाओं पर खुली चोट करना था, जो कानून की नजर में अपराध है। पर सरकार ने कुछ नहीं किया। सरकार की उस कमजोरी का लाभ उठाकर विश्व बैंक व ऐसी अन्य संस्थाओं के ईसाई पदाधिकारी, पोप की उसी घोषणा को क्रियान्वित करने के लिए हर हथकंडे अपना रहे हैं। इसी में से एक है ‘गरीब-परस्त पर्यटन’ (प्रो-पूअर टूरिस्म) के नाम पर हमारे पवित्र तीर्थों जैसे ब्रज या बौद्ध तीर्थ कुशीनगर आदि में पिछले दरवाजे से साजिशन ईसाई हस्तक्षेप। इसी क्रम में ब्रज के कुंडों के जीर्णोंद्धार और श्रीवृंदावन धाम में श्रीबांकेबिहारी मंदिर की गलियों के सौंदर्यींकरण के नाम पर एक कार्य योजना बनवाकर विश्व बैंक चार लक्ष्य साधने जा रहा है।

पहलाः विश्व में यह प्रचार करना कि भारत गरीबों का देश है और हम ईसाई लोग उनके भले के लिए काम कर रहे है। इस प्रकार उभरती आर्थिक महाशक्ति के रूप में भारत की छवि को खराब करना। दूसराः हिंदूओं को नाकारा बताकर यह प्रचारित करना कि हिंदू अपने धर्मस्थलों की भी देखभाल नहीं कर सकते, उन्हें भी हम ईसाई लोग ही संभाल सकते हैं। जैसे कि भारत को संभालने का दावा करके अंगे्रज हुकुमत ने 190 वर्षों में सोने की चिड़ियां भारत को जमकर लूटा। उसके बावजूद भारत आज भी वैभव में पूरे यूरोप से कई गुना आगे है। जबकि उनके पास तो पेट भरने को अन्न भी नहीं है। यूरोप के कितने ही देश दिवालिया हो चुके है और होते जा रहे हैं। क्योंकि अब उनके पास लूटने को औपनिवेशिक साम्राज्य नहीं हैं। इसलिए ‘वल्र्ड बैंक’ जैसी संस्थाओं को सामने खड़ाकर हमारे मंदिरो और धर्मक्षेत्रों को लूटने के नये-नये हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। तीसराः इस प्रक्रिया में हमारे धर्मक्षेत्रों में अपने गुप्तचरों का जाल बिछाना जिससे वो सारी सूचनाऐं एकत्र की जा सकें, जिनका भविष्य में प्रयोग कर हमारे धर्म को नष्ट किया जा सके। 

एक छोटा उदाहरण काफी होगा। इसाई धर्म में पादरी होता है, पुजारी नहीं। चर्च होता है, मंदिर नहीं। ईसा मसीह प्रभु के पुत्र माने जाते हैं, ईश्वर नहीं। इनके पादरी सदियों से सफेद वस्त्र पहनते हैं, केसरिया नहीं। अब इनकी साजिश देखिएः आप बिहार, झारखंड, उड़ीसा जैसे राज्यों के जनजातीय क्षेत्रों में ये देखकर हैरान रह जायेंगे कि भोली जनता को मूर्ख बनाने के लिए ईसाई धर्म प्रचारक अब भगवा वस्त्र पहनते हैं। स्वयं को पादरी नहीं, पुजारी कहलवाते हैं। गिरजे को प्रभु यीशु का मंदिर कहते हैं। 2000 वर्षों से जिन ईसा मसीह को ईश्वर का पुत्र बताते आए थे, उन्हें अब भारत में  ईश्वर बताने लगे हैं। क्योंकि हमारे भगवान तो श्रीकृष्ण व श्रीराम हैं। भगवान श्रीराम के पुत्र तो लव और कुश हैं। हिंदू समाज भगवान राम की पूजा करता है, लव और कुश का केवल सम्मान करता है। अगर ईसा मसीह को ईश्वर का पुत्र बतायेंगे तो भारतीय जनता उन्हें लव-कुश के समान समझेगी, भगवान नहीं मानेगी। चौथाः हमारे धर्मक्षेत्रों की गरीबी दूर करने के नाम पर जो कर्ज ये देने जा रहे हैं, उसमें से बड़ी मोटी रकम अर्तंराष्ट्रीय सलाहकारों को फीस के रूप में दिलवा रहे हैं। ऐसे सलाहकार जो ब्रज के विकास की योजनाऐं बनाते समय प्रस्तुति देते हुए कहते हैं कि स्वामी हरिदास जी, तानसेन के शिष्य थे।

ऐसी योजनाऐं बनाने के लिए दी जाने वाली करोड़ों रूपये फीस के पीछे हमारी प्रशासनिक व्यवस्था को भ्रष्ट करने के लिए मोटा कमीशन देना और उन्हें विदेश घुमाने का खर्चा शामिल होता है। जबकि इस सब खर्चे का भार भी उत्तर प्रदेश की जनता पर कर्ज के रूप में ही डाला जायेगा। पिछले कई वर्षों से अखबारों में आ रहा है कि विश्व बैंक ब्रज की गरीबी दूर करने के लिए बडी-बड़ी योजनाऐं बना रहा है। शुरू में खबर आई कि वृंदावन में 100 करोड़ रूपये खर्च करके एक बगीचा बनाया जायेगा और एक-एक कुंड के जीर्णोद्धार पर 10-10 करोड़ रूपये खर्च करके 9 कुंडों का जीर्णोद्धार किया जायेगा। 2002 से ब्रज को सजाने में व कुंडों के जीर्णोद्धार में जुटी ब्रज फाउंडेशन की टीम को ये बात गले नहीं उतरी। क्योंकि कूड़े के ढेर पडे़, वृंदावन के ब्रह्मकुंड को ब्रज फाउंडेशन ने मात्र 88 लाख रूपये में सजा-संवाकर, सभी का हृदय जीत लिया। गोवर्धन परिक्रमा पर भी इसी तरह दशाब्दियों से मलबे का ढेर बने रूद्र कुंड को मात्र ढाई करोड़ रूपये में इतना सुंदर बना दिया कि उसका उद्घाटन करने आए उ.प्र. के मुख्यमंत्री को सार्वजनिक मंच पर कहना पड़ा कि ‘रूपया तो हमारी सरकार भी बहुत खर्च करती है, पर इतना सुंदर कार्य क्यों नहीं कर पाती, जितना ब्रज फाउंडेशन करती है।’ ब्रज फाउंडेशन ने विरोध किया तो 2015 में विश्व बैंक को ये योजनाऐं निरस्त करनी पड़ीं। अब जो नई योजनाऐं बनाई हैं वे भी इसी तरह बे-सिर पैर की हैं। ‘कहीं पर निगाहें, कहीं पर निशाना’।
हमारे मंदिरों, तीर्थस्थलों, लीलास्थलियों और आश्रमों के संरक्षण, संवर्धन या सौदंर्यीकरण का दायित्व हिंदू धर्मावलम्बियों का है। ईसाई या मुसलमान हमारे धर्मक्षेत्रों में कैसे दखल दे सकते हैं? क्या वे हमें अपने वैटिकन या मक्का मदीने में ऐसा हस्तक्षेप करने देंगे? हमारे धर्मक्षेत्रों में क्या हो, इसका निर्णय, हमारे धर्माचार्य और हम सब भक्तगण करेंगे। ब्रज में इस विनाशकारी हस्तक्षेप के विरूद्ध आवाज उठ रही है। देखना है योगी सरकार क्या निर्णय लेगी।
 

8 comments:

  1. Eye opening write up and first of it's kind in the media.

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  2. For sure. No outsider should have any role to play in the inside affairs of our religious centers. Our country has enough potential, human resources and money for them. Hope this write up reaches the ears of the concerned in government and they reject all such proposals of foreign entry.

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  3. धन्यवाद जागृति के लिए

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  4. Nice information and facts Sir. Thanks

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  5. यह पोस्ट भी श्री विनीत नारायण की पुरानी चिरपरिचित प्रखरताको पुनः एक बार उजागर करती है।

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  6. The solution is to ban evangelism and conversion. Conversion must be declared as a crime.

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  7. Modi govt had not been able to rescind the "Missionary Visa" introduced by UPA-2 (presumably at Sonia Gandhi's behest) in 2012. Expecting this govt to impose ban on evangelical activities would be too Herculean a task!

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  8. Vineet ji, I am in Vrindavan & Barsana on 1st Oct to 6th Oct. Is it possible to meet you ? If yes, please share your office address.

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