Monday, August 31, 2020

कोरोना महामारी: आगे का सफ़र


पिछले कुछ हफ़्तों में सरकार ने कोरोना से सम्बंधित कई दिशा निर्देश दिए हैं। ख़ासतौर पे भारत सरकार के गृह मंत्रालय की ओर से दिए गए ‘अनलॉक’ के दिशा निर्देश जिनका पालन सभी राज्य सरकारों को करना अनिवार्य है। लेकिन इन दिशा निर्देशों में प्रत्येक राज्य को अपने राज्य की मौजूदा परिस्थितियों के अनुसार इनमें संशोधन करने का भी प्रावधान है। अगर किसी राज्य में संक्रमण तेज़ी से बढ़ रहा है तो वहाँ सख़्ती की ज़रूरत है। इसी प्रकार अगर संक्रमण नियंत्रण में है तो छूट भी दी जा रही है। दिल्ली में तो अब मेट्रो रेल को भी सशर्त खोलने की तैयारी है। कारण स्पष्ट है जनता को हो रही असुविधा और मेट्रो को हो रहे करोड़ों के नुक़सान से बचना अनिवार्य हो चुका है। लेकिन सावधानी तो हम सबको ही बरतनी पड़ेगी।
 

पिछले दिनों मई 2020 की एक खबर पढ़ने में आई जिसका आधार अमरीका के मेरीलैंड विश्वविद्यालय के डा फाहिम यूनुस का शोध है। डा यूनुस मेरीलैंड विश्वविद्यालय के संक्रमण रोग विभाग के मुखिया हैं। उनके अनुसार कोरोना के वाइरस से जल्द छुटकारा पाना आसान नहीं है। हां रूस ने इसके इंजेक्शन के ईजाद का दावा ज़रूर किया है लेकिन चीन में जो लोग कोरोना से ठीक हुए थे उनमें से कुछ को कोरोना दोबारा होने की भी खबर है। डा फाहिम के अनुसार हमें इस बीमारी के साथ हंसी ख़ुशी रहने की आदत डाल लेनी चाहिए और नाहक परेशान या घबराने की कोई ज़रूरत नहीं है। 


उनके अनुसार अगर कोरोना का वाइरस हमारे शरीर में प्रवेश कर चुका है तो अत्यधिक पानी पीने से वो बाहर नहीं निकलेगा। हम बस बाथरूम ज़्यादा जाने लगेंगे। 


इस वाइरस पे किसी भी तरह के मौसम का भी असर नहीं होगा। उनकी इस बात पर यक़ीन इसलिए होता है क्योंकि गर्मियों के मौसम में भी कोरोना के मरीज़ों की संख्या विश्वभर में तेज़ी से बढ़ी ही है। 


लगातार हाथ धोने और उचित दूरी बनाए रखने से ही इससे बचा जा सकता है। यदि हमारे घर में कोई भी संक्रमित नहीं है तो हमें बार बार घर की वस्तुओं को डिसइन्फ़ेक्ट करने की भी आवश्यकता नहीं है। 


कोरोना के वाइरस आम फ़्लू की तरह ही होते हैं जो खाने कि वस्तुओं को मंगाने से नहीं फैलते। ठीक उसी तरह जैसे पेट्रोल पम्प और एटीएम आदि पे जाने से संक्रमण नहीं फैलता। बस हाथ धोना और दूरी बनाए रखना अहम है। 


डा यूनुस के अनुसार यदि कोई इससे संक्रमित है और वो स्टीम या सौना लेने के लिए जाता है तो उसके शरीर से वाइरस नहीं निकल सकता। ऐसी कई और एलेर्जी होती हैं जिनके कारण भी इंसान की सूंघने और स्वाद की शक्ति खो जाती है। अभी तक इस लक्षण को इसका एकमात्र कारण नहीं कहा जा सकता। 


कोरोना का वाइरस एक ड्रिप इंफ़ेक्शन है जो केवल निकटता और सम्पर्क में आने से ही फैलता है हवा में नहीं। इसलिए घर में घुसते ही तुरंत कपड़े बदलना और स्नान करना अनिवार्य नहीं है। लेकिन शुद्धि करना एक अच्छी आदत होती है जो हमारे देश में सदियों से चली आ रही है। 


इन दिनों देखा गया है कि जो लोग घर में खाना नहीं बना पाते थे, जैसे कि विद्यार्थी आदि, वो भी मजबूरन खाना बनाने लग गए हैं। लेकिन अगर आप बाज़ार से खाना मँगवाते हैं तो उसे एक बार दोबारा गर्म कर लेना बेहतर रहेगा। 


कोरोना का वाइरस किसी भी धर्म, जाती, लिंग या स्टेटस में भेद नहीं करता ये किसी को भी हो सकता है। यदि आप बाहर से आते हैं तो जूतों को उतारना एक अच्छी आदत है लेकिन वही जूते जो आपने दिन भर पहने हैं और उनसे आपको संक्रमण नहीं हुआ तो जूतों से संक्रमण का कोई लेना देना नहीं है। 


कुछ लोग जो अधिक सावधानी बरतने के लिए दस्ताने पहनते हैं उन्हें भी इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि दस्तानों पे यदि वाइरस आ भी जाता है तो आसानी से जाता नहीं। उन दस्तानों को फेंका ही जाता है। हाथ धोना ही एकमात्र उपाय है जो वाइरस को बहा देता है। इसलिए अपने मुह या आँख को छूने से पहले हाथ अवश्य धोएँ। हाथों को धोने के लिए आम साबुन का प्रयोग ही करें एंटी-बेक्टीरिया साबुन का नहीं क्योंकि कोरोना एक वाइरस है बेक्टीरिया नहीं। 


अपने 20 वर्षों से अधिक अनुभव के चलते डा फाहिम यूनुस ने ये सब हिदायतें दी हैं और कहा है कि हमें सतर्क रहने की ज़रूरत है परेशान रहने की नहीं। 


ये तो डा फाहिम यूनुस के विचार हैं पर जिस तरह अभी हाल में चंडीगढ़ में हरियाणा के मुख्य मंत्री और स्पीकर व अन्य लोगों को कोरोना हुआ है, जिस तरह भारत में कोरोना संक्रमण की संख्या तेज़ी से बढ़ती जा रही है, जिस तरह चीन में कोरोना से ठीक हो चुके लोगों को ये दोबारा हो रहा है, इस सबसे कोरोना के ख़तरे को हल्के में नहीं लिया जा सकता। इसलिए जो सावधानियाँ सुझाई गई हैं उन्हें गम्भीरता से लेना चाहिए। जहां तक सम्भव हो घर से बाहर न निकलें। किसी को भी स्पर्श करने से बचें। साबुन से हाथ लगातार धोते रहें। घर के बाहर नाक और मुँह को ढक कर रखें। तो काफ़ी हद तक अपनी व औरों की सुरक्षा की जा सकती है। जब तक कोरोना का कोई माकूल इलाज सामने नहीं आता तब तक सावधानी बरतना और भगवत कृपा के आसरे ही जीना होगा।

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