अब जब जैट ऐयरवेज पूरी
तरह से ‘ग्राउंड’ हो गई है और इसके हजारों कर्मचारी बेरोजगार हो चुके हैं, तो जाहिर सी बात है कि अन्य निजी ऐयरलाईन्स जैट ऐयरवेज के पायलेट व अन्य
कर्मचारियों पर नजर गढ़ाऐं बैठे हैं। उम्मीद है कि इन ऐयरलाईन्स के ‘एचआर’ विभाग
में तैनात अधिकारियों को इस बात का ज्ञान जरूर होगा कि जैट ऐयरवेज पर देश की
विभिन्न अदालतों में मुकदमें विचाराधीन हैं। ऐसे में अगर जैट ऐयरवेज के दोषी
पायलेटों/कर्मचारियों को किसी अन्य ऐयरलाईन्स में भर्ती होते हैं और अदालत उन्हें
दोषी करार देते हुए, कोई सजा सुनाती है, तो फिर इन पायलेटों/कर्मचारियों का दूसरी ऐयरलाईन में न जाना एक समान हुआ।
इतना ही नहीं वे पायलेट/कर्मचारी जिस भी ऐयरलाईन में जाऐंगे और दोषी पाऐ जाने पर
सजा काटेंगे, तो वह उस ऐयरलाईन की साख पर एक कलंक से कम नहीं
होगा।
उदाहरण के तौर पर
दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर याचिका का एक आरोप जैट ऐयरवेज के एक ऐसे अधिकारी, कैप्टन अजय सिंह के विरुद्ध है, जो पहले जैट ऐयरवेज
में उच्च पद पर आसीन था और दो साल के लिए उसे नागरिक उड्ड्यन मंत्रालय के अधीन
डीजीसीए में संयुक्त सचिव के पद के बराबर नियुक्त किया गया था। यह बड़े आश्चर्य की
बात है कि ‘कालचक्र’ की आरटीआई के जबाव में डीजीसीए ने लिखा कि ‘उनके पास इस बात
की कोई जानकारी नहीं है कि कैप्टन अजय सिंह ने डीजीसीए के ‘सी.एफ.ओ.आई.’ के पद पर
नियुक्त होने से पहले जैट ऐयरवेज में अपना त्याग पत्र दिया है या नहीं‘। कानून के
जानकार इसे ‘कन्फ्लिक्ट आफ इन्ट्रेस्ट’ मानते हैं। समय-समय पर कैप्टन अजय सिंह ने
‘सी.एफ.ओ.आई.’ के पद पर रहकर जैट ऐयरवेज को काफी फायदा पहुंचाया था। जब कालचक्र ने
एक अन्य आरटीआई में डीजीसीए से यह पूछा कि कैप्टन अजय सिंह ने ‘सी.एफ.ओ.आई.’ के पद
से किस दिन इस्तीफा दिया? उसका इस्तीफा किस दिन मंजूर हुआ?
उन्हें इस पद से किस दिन मुक्त किया गया? और
इस्तीफा जमा करने व पद से मुक्त होने के बीच कैप्टन अजय सिंह ने डीजीसीए में जैट
ऐयरवेज से संबंधित कितनी फाइलों का निस्तारण किया? जवाब में
यह पता लगा कि इस्तीफा देने और पद से मुक्त होने के बीच कैप्टन सिंह ने जैट ऐयरवेज
से संबंधित 66 फाइलों का निस्तारण किया। ये अनैतिक आचरण है।
ऐसे आचरण वाले जैट ऐयरवेज के पायलेट/कर्मचारी अनेक हैं।
अब जब जैट ऐयरवेज किसी
भी तरह की उड़ान किसी भी सेक्टर में नहीं भर रहा है, तो जैट
ऐयरवेज द्वारा खाली किये गऐ रूट, भारत के ‘राष्ट्रीय कैरियर
‘एयर इंडिया’ को न देना, एक और घोटाले का संकेत है। नागरिक
उड्डयन मंत्रालय ने एक अन्य निजी ऐयरलाईन में ऐसा क्या देखा कि जैट ऐयरवेज द्वारा
किये जाने वाले मुनाफे वाले रूट घाटे में चल रहे भारत के ‘राष्ट्रीय कैरियर ‘एयर
इंडिया’ को न देकर, उस निजी ऐयरलाईन को दे डाले।
प्रधान मंत्री नरेन्द्र
मोदी ने जैट ऐयरवेज के संकट पर एक आपातकालीन बैठक बुलाई और जैट ऐयरवेज को संकट से
ऊबारने की कोशिश जरूर की। लेकिन सूत्रों की मानें तो, प्रधान
मंत्री कार्यालय में तैनात कुछ अधिकारी जैट ऐयरवेज को इस संकट से बाहर आने देना
नहीं चाहते। पता चला है कि जैट ऐयरवेज के मालिक नरेश गोयल को जैट साम्राज्य
औने-पौने दाम में किसी निजी ऐयरलाईन्स को सौंपने के लिए कहा गया है। अब वो ऐयरलाईन
भारतीय है या विदेशी ये तो समय आने पर ही पता चलेगा। लेकिन एक बात जरूर है कि हर
साल करोड़ों रोजगारों वायदा करने वाली भाजपा सरकार जैट ऐयरवेज के मौजूदा हज़ारों
कर्मचारियों की नौकरी बचा न सकी। अब देखना यह है कि 23 मई के
बाद बनने वाली सरकार इस संकट से कैसे निपटेगी और न सिर्फ जैट ऐयरवेज के
कर्मचारियों का क्या हित करेगी, बल्कि हवाई यात्रा करने वाले
करोड़ों यात्रियों को इस संकट के दौरान महंगी टिकट लेकर यात्रा करने के कष्ट से भी
क्या निदान मिलेगा?
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