यूं
तो हर चुनाव नये अनुभव कराता है और सबक सिखाता है। पर इस बार का चुनाव कुछ अगल ढंग
का है। एक तरफ नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हिंदू, मुलसमान व पकिस्तान के नाम पर चुनाव लड़ा जा रहा है और दूसरी
तरफ किसान, मजदूर,
बेरोजगार और विकास के नाम पर। रोचक बात यह है कि 2014 के लोकसभा चुनाव को मोदी जी ने गुजरात मॉडल,
भ्रष्टाचारमुक्त शासन और विकास के मुद्दे पर लड़ा था। पता
नहीं इस बार क्यों वे इन किसी भी मुद्दों पर बात नहीं कर रहे हैं। इसलिए देश के
किसान, मजदूर,
करोड़ों बेरोजगार युवाओं, छोटे व्यापारियों यहां तक कि उद्योगपतियों को भी मोदी जी की
इन सब कलाबाजियों से उनके भाषणों में रूचि खत्म हो गई है। उन्हें लगता है कि मोदी
जी ने उन्हें वायदे के अनुसार कुछ भी नहीं दिया। बल्कि जो उनके पास था,
वो भी छीन लिया। इसलिए यह विशाल मतदाता वर्ग भाजपा सरकार के
विरोध में है। हालांकि वह अपना विरोध खुलकर प्रकट नहीं कर रहा।
पर
दूसरी तरफ वे लोग हैं, जो
मोदी जी के अन्धभक्त हैं। जो हर हाल में मोदी सरकार फिर से लाना चाहते हैं। मोदी
जी की इन सब नाकामियाबियों को वे कांग्रेस शासन के मत्थे मढ़कर पिंड छुड़ा लेते हैं।
क्योंकि इन प्रश्नों का कोई उत्तर उनके पास नहीं है कि जो वायदे मोदी जी ने 2014 में किये थे, उनमें से एक भी वायदा पूरा नहीं हुआ। बीच चुनाव में यह
बताना असंभव है कि इस कांटे की टक्कर में ऊंट किस करवट बैठेगा। क्या विपक्षी
गठबंधन की सरकार बनेगी या मोदी जी की? सरकार जिसकी भी बने, चुनौतियां दोनों के सामने बड़ी होंगी। मान लें कि भाजपा की
सरकार बनती है, तो क्या
हिंदुत्व के ऐजेंडे को इसी आक्रामकता से, बिना सनातन मूल्यों की परवाह किये, बिना सांस्कृतिक परंपराओं का निर्वहन किये,
एक उद्दंड और अहंकारी तरीके से सब पर थोपा जाऐगा,
जैसा पिछले 5 वर्षों में थोपा गया। इसका मोदी जी को सीमित मात्रा में
राजनैतिक लाभ भले ही मिल जाऐ, हिंदू धर्म और संस्कृति को कोई लाभ नहीं मिला,
बल्कि उसका पहले से ज्यादा नुकसान हो गया। इसके कई कारण
हैं।
भाजपा
व संघ दोनों ही हिंदू धर्म के लिए समर्पित होने का दावा करते हैं,
पर हिंदू धर्म की मूल सिद्धांतों से परहेज करते हैं। जिस
तरह का हिंदूत्व मोदी और योगी राज में पिछले कुछ वर्षों में प्रचारित और प्रसारित
किया गया, उससे
हिंदू धर्म का मजाक ही उड़ा है। केवल नारों और जुमलों में ही हिंदू धर्म का हल्ला
मचाया गया, जमीन पर
ठोस ऐसा कुछ भी नहीं हुआ, जिससे ये सनातन परंपरा पल्लवित-पुष्पित होती। इस बात का हम
जैसे सनातनधर्मियों को अधिक दुख है। क्योंकि हम साम्यवादी विचारों में विश्वास
नहीं रखते। हमें लगता है कि भारत की आत्मा सनातन धर्म में बसती है और वो सनातन
धर्म विशाल हृदय वाला है। जिसमें नानक, कबीर, रैदास, महावीर, बुद्ध, तुकाराम, नामदेव सबके लिए गुंजाईश है। वो संघ और भाजपा की तरह
संकुचित हृदय नहीं है, इसलिए
हजारों साल से पृथ्वी पर जमा हुआ है। जबकि दूसरे धर्म और संस्कृतियां कुछ सदियों
के बाद धरती के पर्दे पर से गायब हो गए।
संघ
और भाजपा के अहंकारी हिंदू ऐजेंडा से उन सब लोगों का दिल टूटता है,
जो हिंदू धर्म और संस्कृति के लिए समर्पित हैं,
ज्ञानी हैं, साधन-संपन्न हैं पर उदारमना भी है। क्योंकि ऐसे लोग धर्म और
संस्कृति की सेवा डंडे के डर से नहीं, बल्कि श्रद्धा और प्रेम से करते हैं। जिस तरह की मानसिक
अराजकता पिछले 5 वर्षों
में भारत में देखने में आई है, उसने भविष्य के लिए बड़ा संकट खड़ा दिया है। अगर ये ऐसे ही
चला, तो भारत में दंगे,
खून-खराबे और बढ़ेगे। जिसके परिणामस्वरूप भारत का विघटन भी
हो सकता है। इसलिए संघ और भाजपा को इस विषय में अपना नजरिया क्रांतिकारी रूप में
बदलना होगा। तभी आगे चलकर भारत अपने धर्म और संस्कृति की ठीक रक्षा कर पायेगा,
अन्यथा नहीं।
जहां
तक गठबंधन की बात है। देशभर में हुए चुनावों से ये तस्वीर साफ हुई है कि विपक्ष की
सरकार भी बन सकती है। अगर ऐसा होता है, तो गठबंधन के साथी दलों को यह तय करना होगा कि उनकी एकजुटता
अगले लोकसभा चुनाव तक कायम रहे और आम जनता की उम्मीद पूरी कर पाऐ। आम जनता की
अपेक्षाऐं बहुत मामूली होती है, उसे तो केवल सड़क, बिजली, पानी, रोजगार, फसल का वाजिफ दाम और मंहगाई पर नियंत्रण से मतलब है। अगर ये
सब गठबंधन की सरकार आम जनता को दे पाती हैं, तभी उसका चुनाव जीतना सार्थक माना जाऐगा। पर इससे ज्यादा
महत्वपूर्णं होगा, उन
लोकतांत्रिक संस्थाओं और मूल्यों का पुर्नस्थापन, जिन पर पिछले 5 वर्षों में कुठाराघात किया गया है।
लोकतंत्र
की खूबसूरती इस बात में है कि मतभेदों का सम्मान किया जाए, समाज के हर वर्ग को अपनी बात कहने की आजादी हो,
चुनाव जीतने के बाद, जो दल सरकार बनाऐ, वो विपक्ष के दलों को लगातार कोसकर या चोर बताकर,
अपमानित न करें, बल्कि उसके सहयोग सरकार चलाऐ। क्योंकि राजनीति के हमाम में
सभी नंगे हैं। मोदी जी की सरकार भी इसकी अपवाद नहीं रही। इसलिए और भी सावधानी
बरतनी चाहिए।
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