मोदी जी ने ‘हृदय
योजना’ इसलिए शुरू की थी कि हेरिटेज सिटी में डिजाइन की एकरूपता बनी रहे। ये न हो
कि उस शहर में आने वाला हर नया नेता और नया अफसर अपनी मर्जी से कोई भी डिजाइन
थोपकर शहर को चूं-चूं का मुरब्बा बनाता रहे, जैसा
मथुरा-वृन्दावन सहित आजतक देश के ऐतिहासिक शहरों में होता रहा है। यह एक अभूतपूर्व
सोच थी, जो अगर सफल हो जाती, तो मोदी
जी को ऐतिहासिक शहरों की संस्कृति बचाने का भारी यश मिलता। पर दशकों से कमीशन खाने
के आदी नेता और अफसरों ने इस योजना को विफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी क्योंकि
उन्हें डर था कि अगर ये योजना सफल हो गई, तो फर्जी नक्शे
बनाकर, फर्जी प्रोजेक्ट पास कराने और माल खाने के रास्ते बंद
हो जाएंगे। चूंकि मथुरा-वृंदावन में ‘हृदय’ के ‘सिटी एंकर’ के रूप में भारत सरकार
के शहरी विकास मंत्रालय ने ‘द ब्रज फाउंडेशन’ को चुना था, इसलिए
उसी अनुभव को यहां साझा करूंगा।
दुनिया के खूबसूरत
पौराणिक शहर वृन्दावन का मध्युगीन आकर्षक चेहरा एमवीडीए. के अफसरों के भ्रष्टाचार
और लापरवाही से आज विद्रूप हो चुका है। आज भी भोंडे अवैध निर्माण धड़ल्ले से चालू
हैं। इस विनाश के लिए जिम्मेदार रहे अफसर ही अब योगी राज में बनाऐ गऐ ‘ब्रज तीर्थ विकास परिषद् के
कर्ता-धर्ता बनकर ब्रज का भारी विनाश करने पर तुले हैं।
ऊपर से दुनिया भर के
मीडिया में हल्ला ये है कि ब्रज का भारी विकास हो रहा है। योगी जी ने खजाना खोल
दिया है। अब ब्रज अपने पुराने वैभव को फिर पा लेगा। जबकि जमीनी हकीकत ये है कि
वृन्दावन,
गोवर्धन और बरसाना सब विद्रूपता की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। ब्रज के
संत, भक्त व ब्रज संस्कृति प्रेमी सब भारी दुखी हैं। मोदी
सरकार द्वारा इसी वर्ष पद्मश्री से सम्मानित ब्रज संस्कृति के चलते-फिरते ज्ञानकोश
डा. मोहन स्वरूप भाटिया भी 'ब्रजतीर्थ विकास परिषद्' के इन कारनामों से भारी दुखी हैं और बार-बार इसका लिखकर विरोध कर रहे हैं,
पर कोई सुनने वाला नहीं।
जयपुर व मैसूर दो
सर्वाधिक सुन्दर शहरों में ‘मिर्जा इस्माईल रोड’ उस वास्तुकार के नाम पर हैं, जिसने इन शहरों का नक्शा बनाया था। पेरिस की ‘एफिल टावर’ किसी नेता के नाम
पर नहीं बल्कि उसका डिजाइन बनाने वाले इंजीनियर श्री एफिल के नाम पर है। पर योगी
सरकार को इतनी सी भी समझ नहीं है कि मथुरा, अयोध्या और काशी
के विकास के लिए उन लोगों की सलाह लेती जिनका इन प्राचीन नगरों की संस्कृति से
गहरा जुड़ाव है, जिनके पास इस काम का ज्ञान और अनुभव है। पर
ऐसा नहीं हुआ। हमेशा की तरह नौकरशाही ने घोटालेबाज या फर्जी सलाहकारों को इन
प्राचीन शहरों पर थोपकर, इनका आधुनीकरण शुरू करवा दिया। अब
इनका रहा-सहा कलात्मक स्वरूप भी नष्ट हो जाऐगा। बंदर को उस्तरा मिले तो वो क्या
करेगा ?
उदाहरण के तौर पर मोदी
जी की प्रिय ‘हृदय योजना’ में जब व्यवाहरिक, सुंदर व
भावानुकूल वृन्दावन परिक्रमा मार्ग 2.5 किमी० बन ही रहा है,
तो शेष 8 किमी. परिक्रमा पर एक नया डिजाइन
बनाकर लाल पत्थर का भौंडा काम कराने का क्या औचित्य है ? पर
ये पूछने वाला कोई नहीं।
योगी जी के मंत्रियों
और अफसरों ने अपने अहंकार और मोटे कमीशन के लालच में, ब्रज में ऐतिहासिक जीर्णोद्धार करती आ
रही ‘द ब्रज फाउंडेशन’ की महत्वपूर्ण भूमिका को नकार कर, विकास के नाम पर, पैसे की बर्बादी का तांडव चला रखा
है। जबकि ब्रज फाउंडेशन के योगदान को मोदी जी से लेकर हरेक ने आजतक खूब सराहा है।
उल्लेखनीय है कि योगी
सरकार के आते ही 9 पौराणिक कुंडों के जीर्णोद्धार
का 27 करोड़ रुपये के काम का ठेका 77
करोड़ रुपये में दिया जा रहा था। गोवर्धन क्षेत्र के विकास का काम जयपुर के मशहूर
घोटालेबाज अनूप बरतरिया को सौंपा जा रहा था। द ब्रज फाउंडेशन ने जब इसका विरोध
किया, तो सब एकजुट होकर गिद्ध की तरह उस पर टूट पड़े । जिससे
ये सब मिलकर ब्रज विकास के नाम पर खुली लूट कर सकें।
उधर सभी संतगण व भक्तजन
गत 15 वर्षों से द ब्रज फाउंडेशन के कामों को पूरे ब्रज में देखते व सराहते आये
हैं। मोदी जी के खास व भारत के नीति आयोग
के सीईओ अमिताभ कांत का कहना है कि, ‘जैसा काम बिना सरकारी
पैसे के 15 वर्षों में ब्रज में ब्रज फॉउंडेशन ने किया है वैसा काम 80
प्रतिशत प्रान्तों के पर्यटन विभागों ने पिछले 71 वर्ष में
नहीं किया’।
सारी दुनिया के श्री
राधाकृष्ण भक्तों, संतगणों व ब्रजवासियों के लिए
ये चिंता और शोभ की बात होनी चाहिए कि 71 वर्षों से आश्रम के
नाम पर केवल अपने लिए गेस्ट हाउस बनाने वाले राजनैतिक लोग आज ब्रज की सेवा व विकास
के नाम हम सबका खुलेआम उल्लू बना रहे हैं । ब्रज विकास के नाम पर इनकी बनाई हर
योजना एक धोका है। इससे न तो ब्रज के कुंड, सरोवर, वन सुधरेंगे और न ही आम ब्रजवासियों को कोई लाभ होगा। ब्रज को ‘डिज्नी
वर्ल्ड’ बनाकर बाहर के लोग यहां कमाई करेंगे।
गत 4 वर्षों से मैं इन सवालों पर केंद्र और राज्य सरकार का ध्यान इसी कालम के
माध्यम से और पत्र लिखकर भी आकर्षित करता रहा हूं, पर किसी
ने परवाह नहीं की। अब मैंने प्रधानमंत्री जी से समय मांगा है, ताकि उनको जमीनी हकीकत बताकर आगे की परिस्थितियां सुधारने का प्रयास किया
जा सके। बाकी हरि इच्छा।
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