Monday, November 26, 2018

ब्रजवासियों के साथ धोखा क्यों?

जब से ‘ब्रजतीर्थ विकास परिषद्’ का गठन हुआ है, ये एक भी काम ब्रज में नहीं कर पाई है। जिन दो अधिकारियों को योगी आदित्यनाथ जी ने इतने महत्वूपर्णं ब्रजमंडल को सजाने की जिम्मेदारी सौंपी हैं, उन्हें इस काम का कोई अनुभव नहीं है। इससे पहले उनमें से एक की भूमिका मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के नाते तमाम अवैध निर्माण करवाकर ब्रज का विनाश करने में रही है। दूसरा सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी है, जिसने आजतक ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण पर कोई काम नहीं किया। इन दोनों को ही इस महत्वपूर्णं, कलात्मक और ऐतिहासिक काम की कोई समझ नहीं है। इसलिए इन्होंने अपने इर्द-गिर्द फर्जी आर्किटैक्टों, भ्रष्ट जूनियर अधिकारियों और सड़कछाप ठेकेदारों का जमावाड़ा कर लिया है। सब मिलकर नाकारा, निरर्थक और धन बिगाड़़ू योजनाऐं बना रहे हैं। जिससे न तो ब्रज का सौंदर्य सुधरेगा, न ब्रजवासियों को लाभ होगा और न ही संतों और तीर्थयात्रियों को। केवल कमीशन खोरों की जेबें भरी जाऐंगी।
इनकी मूर्खता का ताजा उदाहरण है भगवान श्रीकृष्ण की 40 करोड़ रूपये की विशाल मूर्ती, जिसे ये दिल्ली-आगरा के बीच सुश्री मायावती द्वारा बनावाऐं गये यमुना एक्सप्रेस वे के उस बिंदु पर लगवाने जा रहे हैं, जहां से गाड़ियां वृंदावन के लिए मुड़ती है। 40 करोड़ की मूर्ती में कितना कमीशन खाया जाऐगा, इसका अंदाजा इसी बात से लगा लीजिए, कि ब्रज के 9 कुंडों के जीर्णोंद्धार का ठेका, ये सरकारी लोग 77 करोड़ में पिछले वर्ष दे चुके थे। जिसे ‘द ब्रज फाउंडेशन’ के शोर मचाने और बेहतर कार्य योजना देने के बाद अब मात्र 27 करोड़ रूपये में करवाया जायेगा। इस तरह 50 करोड़ रूपये की बर्बादी रोकी गई है। क्योंकि द ब्रज फाउंडेशन गत 15 वर्षों से अपने तन-मन-धन से भगवान श्रीराधाकृष्ण की लीलास्थलियां सजा रही है। इसलिए उससे कोई चोरी छिप नहीं सकती। 77 करोड़ रूपये में 50 करोड़ रूपये का घोटाला, यानि 66 फीसदी कमीशन। इस अनुपात से 40 करोड़ रूपये की मूर्ती में 27 करोड़ रूपया कमीशन में जाएगा।
मूर्ति लगवाने के पीछे इनका तर्क है कि वाहन चालकों को दूर से ही पता चल जाएगा कि वृंदावन आ गया। कितनी हास्यास्पद बात है, बिना मूर्ती लगे ही जब हजारों गाड़ियां रोज वृंदावन आ रही है, तो उन्हें  रास्ता कौन बता रहा है? जिसे वृंदावन आना है, उसे सब रास्ते पता हैं। वैसे जो तीर्थयात्री रोज आ रहे हैं, उनसे ही वृंदावन की सारी व्यवस्था चरमरा जाती है। गत दो वर्षों में ब्रज तीर्थ विकास इस स्थिति को सुधारने के लिए कुछ नही कर पाया। तो अब विशाल मूर्ती लगवाकर और मजमा क्यों जोड़ना चाहता है?
उधर ब्रज में 85 फीसदी भू जल खारा है। प्राचीन कुंडों के जीर्णोंद्धार जल संचयन भी होता है और खारापन भी क्रमशः कम होता है। सर्वोच्च न्यायालय के 2001 के ‘हिंचलाल तिवारी आदेश’ के तहत शासन को ब्रज के उपेक्षित पड़े 800 से भी अधिक कुंडों का जीर्णोंद्धार कराना चाहिए था। जबकि उसने आजतक लगभग 40 करोड़ रूपया खर्च करके 40 कुंडों का जीर्णोंद्धार करवाया है, जिनकी दशा पहले से भी ज्यादा दयनीय हो गई हैं। उनके नऐ बने घाट टूट रहे हैं, कूड़े और मलबे के ढेर जमा हो गऐ हैं और उनमें कुत्ते और सूअर डोलते हैं।
इस मूर्ती को लगवाने से बेहतर होता कि ब्रजतीर्थ विकास परिषद् ब्रज के कुछ कुंडों का जीर्णोंद्धार करवा देता, तो ब्रज में जल की समस्या के समाधान की दिशा में कुछ कदम आगे बढ़ते। साथ ही इससे ब्रज के गांवों में रहने वाले गोधन, ब्रजवासियों और संतों को प्रसन्नता होती। पर वहां भी इनकी गर्दन फंसी है। क्योंकि द ब्रज फाउंडेशन ने बेहद कम लागत पर वृंदावन के ब्रह्म कुंड, गोवर्धन के ऋणमोचन कुंड, रूद्र कुंड व संकर्षण कुंड, जैंत का जयकुंड, चौमुहा  का ब्रह्म सरोवर आदि दर्जनों पौराणिक कुंडों का मनोहारी जीर्णोंद्धार कर मथुरा जिले की जलधारण क्षमता को 5 लाख क्यूबिक मीटर बढ़ा दिया है। अब अगर ब्रज तीर्थ विकास परिषद् कुंडों का जीर्णोंद्धार करेगी, तो उसे भी द ब्रज फाउंडेशन की लागत के बराबर कीमत पर काम करना पड़ेगा। तिगुने दाम की योजना बनाने वाली ब्रजतीर्थ विकास परिषद् फिर कमीशन कैसे खा पाऐगीा? इसलिए विशाल मूर्ती लगवाने जैसी फालतू परियोजनाऐं बनाई जा रही है, जिससे कोई हिसाब भी न मांग सके और ढ़िढोरा भी पीट दिया जाऐ कि 40 करोड़ रूपये की मूर्ती लगवा दी गई।
योगी जी से उद्घाटन करवाने की जल्दी में ब्रजतीर्थ विकास परिषद् ने सड़कछाप आर्किटैक्टों को पकड़कर बड़े बजट की परियोजनाऐं बनवा ली हैं, जिससे मोटा कमीशन खाया जा सके। इस तरह हर ओर ब्रज का विनाश किया जा रहा है। भाजपा योगी महाराज को हिंदू धर्म का पुरोधा बनाकर चुनावों में घुमा रही है। पर योगी महाराज की सरकार के भ्रष्ट और निकम्मे अधिकारी ब्रज जैसे कृष्ण भक्ति के पौराणिक धाम की महत्ता और संवेदनशीलता को समझे बिना शहरी लोगों के मनोरंजन के लिए बड़ी-बड़ी खर्चीली योजनाऐं बनवा रहे हैं। जिनसे ब्रज का विकास होना तो दूर, विनाश की गति तेजी से बढ़ गई है। चुनाव में वोट मांगे जाऐंगे आम ब्रजवासी से, जो गांवों में रहता है। जिसने कान्हा से संग गाय चराई। जिनके घरों से कान्हा ने माखन चुराया। उन सब ब्रजवासियों की उपेक्षा कर बाहर से आने वाले सैलानियों के मनोरंजन की योजनाऐं बनाकर ब्रजतीर्थ विकास परिषद् क्यों योगी महाराज की छवि खराब करने में जुटी है? ये ब्रजवासियों के साथ सरासर धोखा है।

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