Monday, July 22, 2019

भूटान क्यों न बने भारत का गुरू ?

3 वर्ष पहले जब मैं पड़ोसी देश भूटान गया, तब मुझे ये जानने की उत्सुकता थी कि बिना औद्योगिक प्रगति वाला भूटान दुनिया का सबसे सुखी देश कैसे है? वहां जाकर जो कुछ देखा उसने जिज्ञासा शांत कर दी। पर अभी एक मित्र ने व्हाट्सएप्प पर भूटान के विषय में जो सूचनाऐं भेजी, उन्हें देखकर तो यही लगता है कि भारत को चाहिए कि भूटान को अपना गुरू बना ले। उस मित्र की भेजी सामग्री को यहाँ यथा रूप प्रस्तुत करना उचित रहेगा। इसलिए उसे लगभग वैसा ही प्रस्तुत कर रहा हूँ।

भूटान के जाने-माने चिंतक और ग्रोस नेशनल हैप्पीनेस सेंटर, भूटान के प्रमुख डॉ. सांगडू छेत्री कहते हैं कि भूटान के लोग प्रकृति को भगवान मानते हैं।वहां आज भी कई पीढ़ियां एक साथ, एक ही घर में, प्रकृति की फिक्र के साथ रहती हैं। भूटान की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पादन) भारत की तुलना में बहुत ही कम है। बड़े उद्योग हैं ही नहीं। मगर वहां के लोग प्रसन्नचित, संतुष्ट, प्रकृति से प्रेम करते हुए व जीवन मूल्यों को संरक्षित करते हुए आगे बढ़ रहे हैं।

भूटान की सबसे बड़ी ताकत यहां के जंगल हैं। इसे दुनिया का सबसे हरा-भरा देश माना जाता है। प्रकृति के घिरे भूटान को दुनिया का सबसे ज्यादा ऑक्सीजन बनाने वाला देश भी माना जाता है। यहां के 70 फीसदी हिस्से में जंगल है। ऊंचे पर्वत, नदियों का साफ पानी और हरियाली यहां की खासियत है। यहां जितना कार्बन सालभर में पैदा होता है, उसे यहां के जंगल ही नष्ट कर देते हैं। इस खूबी के कारण भूटान प्रदूषण रहित है। जंगल को बचाने के लिए सरकार ही नहीं यहां के लोग भी बराबर योगदान देते हैं।   

प्लास्टिक किस हद तक खतरनाक है, इसे  यहाँ बहुत पहले समझ लिया गया था। 1999 में यहां प्लास्टिक के कई सामानों पर प्रतिबंध लगाया गया था। 20 साल बाद भी कई देशों ने इस नियम को अपने यहां लागू नहीं किया। लिहाजा समुद्र की गहराई में टनों प्लास्टिक कचरा पहुंच रहा है। प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के नियम को यहां का हर नागरिक अभियान की तरह मानता है और सख्ती से इसका पालन भी करता है। 

भूटान की ज्यादातर नीतियां ऐसी हैं जो पर्यावरण और लोगों, दोनों की सेहत को दुरुस्त रखने का काम करती हैं। सिगरेट और धूम्रपान से भूटान की लड़ाई काफी पुरानी है। कहते हैं 1729 में तम्बाकू पर कानून लाने वाला भूटान पहला देश था। 1990 में यहां तम्बाकू और सिगरेट के खिलाफ अभियान और सख्त हुआ। नतीजा, भूटान के करीब 20 जिले स्मोक फ्री घोषित किए गए। 2004 में स्मोकिंग को पूरे देश में बैन कर दिया गया। कानून के मुताबिक, सिगरेट और तम्बाकू के सेवन करते पकड़े जाने पर सीधी जेल होगी और जमानत नहीं दी जाएगी। 

भूटान की हरियाली और स्वच्छता के चर्चे विदेशों में भी हैं। देश को और हरा-भरा बनाने के लिए 2015 में ‘सोशल फॉरेस्ट्री डे’ के मौके पर भूटान में 100 जवानों की टीम ने मिलकर एक घंटे में 49,672 पेड़ लगाए। सर्वाधिक पेड़ लगाने के लिए भूटान का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ। इस बार पिछले रिकॉर्ड के मुकाबले, 10 हजार अधिक पेड़ लगाए गए। 2015 में हजारों लोगों ने भूटान के राजा-रानी के पहले बच्चे, राजकुमार ग्यालसे, के जन्मदिन का जश्न 1,08,000 पौधे लगाकर मनाया था।  

पिछले साल भूटान में विश्व पर्यावरण दिवस को ‘पैदल दिवस’ के रूप में मनाने की पहल की गई थी। भूटान के यातायात विभाग रॉयल भूटान पुलिस के निर्देश के अनुसार, देशभर के शहरी क्षेत्रों में यातायात बंद रहा था। सड़कों पर आपातकालीन सेवा वाले वाहनों की आवाजाही पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया था। जिसे यहां के लोगों ने भी सख्ती से पालन भी किया था।

दिलचस्प बात है कि भूटान में एक भी वृद्धाश्रम नहीं हैं और यहां के लोगों का मानना है कि हमारे समाज में ऐसी जगह होनी भी नहीं चाहिए। भूटान के चिंतक डॉ. सांगडू छेत्री कहते हैं यह समाज के लिए कलंक है। जिस मां ने हमें जन्म दिया उस मां को हमें वृद्धाश्रम में छोड़ना पड़ता है। जब तक हम नकारात्मक विचारों से जुड़े रहेंगे, प्रसन्नता हमसे कोसों दूर रहेगी।

वे बताते हैं कि जब मैं प्रधानमंत्री कार्यालय में कार्य करता था तो कोशिश करता था कि अधिक से अधिक लोगों से मिलूं। हम भी यही करें। जब भी किसी व्यक्ति से मिलें, तो कोशिश करें कि चेहरे पर मुस्कान बनी रहे।

आज हम विश्व की तेजी बढ़ती अर्थव्यवस्था होने का चाहे कितना दावा कर लें पर हम  जीवन में कितने बदहवास हैं ये किससे छिपा है? क्या हमें भूटान को गुरु नहीं बनाना चाहिये?

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