Friday, January 14, 2000

आमिर भाई की गिरफ्तारी का नाटक

8 जनवरी को अखबारों में खबर छपी कि जैन हवाला कांड के एक प्रमुख अभियुक्त आमिर भाई को दिल्ली हवाई अड्डे पर गिरफ्तार कर लिया गया। =ये वही आमिर भाई है जिसकी मार्फत जैन बंधुओं को करोडों रूपया अवैध रूप से हवाला के जरिए मिलने का आरोप है। यह रूपया देश के प्रमुख राजनेताओं व अफसरों को 1990-91 में बांटा गया। खबरों में बताया गया कि आमिर भाई दुबई से जैसे ही दिल्ली पहुंचा उसे धर-दबोचा गया। ये वही आमिर भाई हैं जिसको जैन हवाला कांड में तफतीश के लिए गिरफ्तार करने की सीबीआई वाले और प्रवर्तन निदेशालय वाले 1995 से कोशिश कर रहे थे। कुछ जांच अधिकारियों को खास इसी काम के लिए दुबई भी भेजा गया था पर बैरंग लौट आए। जो लोग पिछले कुछ वर्षों से जैन हवाला कांड के बारे में छप रही खबरों को पढ़ते आए हैं या टीवी पर सुनते आए हैं, उन्हें खूब याद होगा कि 1995-96 में इसी आमिर भाई की गिरफ्तारी के महत्व पर महीनों खबरें छपती रही थीं। सीबीआई और फेरा वालों ने देश की जनता और अदालत को यह तस्वीर पेश की थी कि अगर आमिर भाई उनकी गिरफ्त में आ जाता है तो कोई भी हवाला आरोपी नेता या अफसर कानून के शिकंजे से बच नहीं पाएगा। इन जांच एजेंसियों ने आमिर भाई के गिरफ्तारी के लिए हर तरह के हाथ-पांव फेंकने का अभिनय भी बखूबी किया था। यहां तक कि इंटरपोल तक को संपर्क करने की बात कही गई थी। कई बयान ऐसे भी छपे थे कि भारत सरकार विशेष प्रभाव इस्तेमाल कर दुबई की सरकार से आमिर भाई को भारत को सौपने को कहेगी। इस सब हंगामें के बावजूद आमिर भाई भारतीय जांच एजेंसियों की पकड़ में नहीं आया। जैन डायरियों में तमाम जगहों पर ‘ए बी’ जैसी प्रविष्टियां हैं जो आमिर भाई के बारे में हैं। मार्च 1995 के अपने इकबालिया बयान में सुरेंद्र जैन ने इसी आमिर भाई का जिक्र किया है।

अपनी गर्दन पर लटकती तलवार को ये तातकवर राजनेता हमेशा के लिए खत्म कर देने को बेचैन थे। इसलिए इन्होंने आमिर भाई से एक गुप्त समझौता किया और वह यह है कि तुम भारत चले आओ, तुम्हारी गिरफ्तारी और बाद की कानूनी कार्रवाही का सब नाटक पूरा कर लिया लाएगा और तुमसे किसी तरह की बदसलूकी नहीं की जाएगी। तुम्हें फेरा के तहत सही-सही इक्बालिया बयान देने के लिए मजबूर भी नहीं किया जाएगा। ताकि इस तरह जैन हवाला कांड के भविष्य में उठ खड़ा होने की सभी संभावनाओं को समाप्त कर दिया जाए।

जैन बंधुओं के निकट सहयोगी और अक्टूबर 1996 से हवाला कांड की हर तारीख पर एनके जैन के साथ अदालत आने वाले डा. जाॅली बंसल ने हाल ही में जारी अपने एक शपथ पत्र में जैन बंधुओं और आमिर भाई के नियमित अवैध व्यापारिक संबंधों की पुष्टि की है। सब जानते हैं कि देश के बड़े राजनेताओं के भ्रष्टाचार के कारण सौकड़ों-हजारों करोड रूपए के लेन-देन साल भर होते हैं। ऐसे पैसे को देश से बाहर गैर-कानूनी तरीके से लेजाने या विदेश से बाहर लाने के जरिए को ही हवाला कहा जाता है। और आमिर भाई का नाम ऐसे सब बड़े हवाला लेन-देने में प्रमुखता से लिया जाता रहा है। जैन हवाला कांड के सुर्खियों में आने से पहले आमिर भाई अपना ये कारोबार मुंबई में रह कर बे-खौफ कर रहा था। क्योंकि उसे लगभग सभी बड़े दलों के राजनेताओं का संरक्षण प्राप्त था। पर जैन हवाला कांड में गिरफ्तारी के डर से व हवाला कांड के आरोपी नेताओं के दबाव में वह भारत छोड़कर दुबई भाग गया। प्रवर्तन निदेशालय का यह रिकार्ड रहा हैकि जब कभी उसने किसी को भी फेरा के उल्लंघन के मामले में गिरफ्तार किया तो उससे इक्वालिया बयान सही-सही ले लिया। फेरा वाले हाथ ही तब डालते हैं जब संदिग्ध व्यक्ति के टेल्ीफोन, फैक्स व अन्य गतिविधियों पर पूरी निगाह रखने के बाद पर्याप्त प्रमाण जुटा लेते हैं। मौजूदा कानून के तहत फेरा के मामले में दिए गए इक्वालिया बयान को कानूनी स्वीकृति प्राप्त है। जबकि पुलिस हिरासत में दिए गए बयान को यह स्वीकृति प्राप्त नहीं है। इसलिए जैन हवाला कांड में आमिर भाई का बयान अगर फेरा में दर्ज कर लिया जाता तो हवाला आरोपियों के बच निकलने का कोई रास्ता न बचता। ठीक इसी तरह अगर सुरेंद्र जैन का भी बयान फेरा के तहत रिकार्ड कर लिया जाता तो भी उसकी कानूनी वैधता होती और हवाला आरोपी छूट नहीं पाते। ऐसा करना कानूनी रूप से लाजमी था। पर यह साजिशन नहीं किया गया। हवाला कांड की जांच कर रहे सीबीआई के एक डीआईजी श्री आमोद कंठ ने तो यहां तक साजिश की कि सुरंेद्र जैन के खिलाफ जो एफआईआर भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत दर्ज कराई उसी में ऊपर अवैध रूप से लिख दिया ‘फेरा’ जिससे यह एफआईआर फेरा के तहत भी दर्ज मान ली जाए। यह साजिश पूरी तरह गैर-कानूनी थी क्यांेकि सीबीआई को कोई हक नहीं कि वह फेरा के तहत केस दर्ज करवाए। यह काम तो प्रवर्तन निदेशालय का है। ऐसा इसलिए किया गया ताकि जब जैन बंधुओं को भ्रष्टाचार के मामले में जमानत मिले तो उन्हें फेरा के तहत गिरफ्तार न किया जा सके। क्योंकि वह ये तर्क दें कि उन्हें भ्रष्टाचार के साथ ही फेरा मामले में भी गिरफ्तार कर लिया गया था इसलिए अब उसी अपराध के लिए दुबारा गिरफ्तार नहीं किया जा सकता और यही हुआ भी। इससे जैन बंधु फेरा के तहत बयान देने से बच गए और उनके साथ ही फेरा के तहत पकड़े जाने से राजनेता और अफसर भी बच गए।

अब बचा आमिर भाई। जो अहमियत सुरंेद्र जैन के बयान की होती वही अहमियत आज आमिर भाई के बयान की भी हैं । अगर आमिर भाई आज भी फेरा के तहत ठीक बयान दे दें तो हवाला कांड में छोड़ दिए गए सभी राजनेता और अफसर फौरन फेरा के तहत गिरफ्तार हो जाएंगे और इन सब के मन में यही डर बैठा हुआ था कि अगर कभी भी आमिर भाई का दिमाग पलट जाए या वह प्रवर्तन निदेशालय का मुखबिर बन जाए या भावी सरकार उसे दुबई से भारत लाने में कामयाब हो जाए तो जो राजनेता साजिश करके आतंकवाद और देशद्रोह के जैन हवाला कांड की गिरफ्त से छूट गए हैं वे फिर धर-दबोचे जा सकते हैं। अपनी गर्दन पर लटकती इस तलवार को ये ताकतवर राजनेता हमेशा के लिए खत्म कर देने को बेचैन थे। इस लिए इन्होंने आमिर भाई से एक गुप्त समझौता किया और वह यह है कि तुम भारत चले आओ, तुम्हारी गिरफ्तारी और बाद की कानूनी कार्रवाही का सब नाटक पूरा कर लिया लाएगा और तुमसे किसी तरह की बदसलूकी नहीं की जाएगी। तुम्हें फेरा के तहत सही-सही इक्बालिया बयान देने के लिए मजबूर भी नहीं किया जाएगा। इस तरह जैन हवाला कांड के भविष्य में उठ खड़ा होने की सभी संभावनाओं को समाप्त कर दिया जाएगा। विश्वस्त्र सूत्रों से पता चला है कि प्रवर्तन निदेशालय के हाल तक निदेशक श्री इंद्रजीत खन्ना ने जब देशद्रोह की इस साजिश मंे सहयोग करने से मना कर दिया तो उन्हें उनके पद से हटा कर राजस्थान का मुख्य सचिव बना कर भेज दिया गया। आमिर भाई की गिरफ्तारी के नाटक को पूरा करने की जब सारी तैयारियां निष्कंटक हो गई तब आमिर भाई को भारत बुलाया गया। वह भी ऐसे दिन जब सरकारी छुट्टी थी और उसे प्रवर्तन निदेशालय वाले गिरफ्तार नहीं कर सकते थे। इसलिए उसे न्यायायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया गया। तिहाड़ जेल के अंदर बंद खूखांर अपराधियों का अपना ही जंगल कानून चलता है। जब कभी आमिर भाई जैसा बड़ा आर्थिक अपराधी तिहाड़ जेल पहुंचता है तो उसकी बंदियों द्वारा लात और घूसों से जम कर धुनाई की जाती है। ताकि उसे डरा-धमका कर उसके संबंधियों से जेल के बाहर मोटी रकम वसूल की जा सके। इस बात की एवज में कि आइंदा जेल में उसके साथ ऐसा व्यवहार नहीं होगा। जो लोग भी फेरा के बड़े मामलों में तिहाड़ जेल जा चुके हैं उन्हें इस बात का खूब अनुभव है। पर आमिर भाई के मामले में इस समस्या का भी निपटारा पहले ही कर लिया गया। विश्वस्त्र सूत्रों से पता चला है कि तिहाड़ जेल के बंदी दादाओं को आमिर भाई के साथ बदसलूकी न करने के एवज में एडवांस रकम पहुंचा दी गई है। अब सिर्फ नाटक के शेष अंश बाकी हैं। जिन्हें शीघ्र पूरा करके आमिर भाई और हवाला आरोपी राजनेता जल्दी ही हवाला कांड के बचे-खुचे आतंक से भी मुक्त हो जाएंगे।

सोचने वाली बात यह है कि जब बोफोर्स कांड के अभियुक्त विन चढ्ढा व क्वात्रोची एड़ी-चोटी का जोर लगाने के बावजूद भारत की जांच एजेंसियों की गिरफ्त में नहीं आ रहे। पिछले दस वर्षों से आराम से विदेश में बैठे हैं तो अचानक आमिर भाई को क्या पागल कुत्ते ने काटा था जो वो गिरफ्तार होने और सजा भुगतने भारत चला आया। अगर आमिर भाई की गिरफ्तारी एक स्वभाविक प्रक्रिया के तहत हुई है तो यह कैसे संभव हुआ कि जो आमिर भाई वर्षों के तमाम हंगामे के बावजूद भारत नहीं लाया जा सका। आज वह अपने आप चल कर शेर के मुंह में आ गया। जबकि उसे पता था कि भारत गया तो न सिर्फ गिरफ्तार होऊंगा बल्कि जेल के सींखचों के पीछे लंबी सजा काटनी पड़ेगी। इतना ही नहीं उसके अवैध व्यापार के प्रमुख हिस्सेदार राजनेताओं और दूसरे लोगों को भी सजा भुगतनी पड़ेगी। वह भी तब जब उसका कारोबार दुबई में बैठ कर पिछले कई वर्षों से बखूबी चल रहा है। किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है। जिंदगी ऐश से गुजर रही है। वैसे भी हवाला का कारोबार भारत में चलाने के लिए कोई कारखाने खड़े करने या दफ्तर खोलने की जरूरत तो होती नहीं। सारा कारोबार अपने विश्वास पात्र हवाला कारोबारियों के संपर्क के जाल की मार्फत केवल टेलीफोन और फैक्स पर चलता है। जो काम वो दुबई में बैठकर आसानी से कर रहा था। सब जानते हैं कि जैन हवाला कांड कश्मीर के आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन को मिल रही अवैध विदेशी मदद से जुड़ा है। बावजूद इसके 1991 से इसकी जांच को हर स्तर पर साजिशन दबाया जाता रहा है। ताकि इस कांड से जुड़े देश के अनेक बड़े नेताओं और अफसरों को बचाया जा सके। आतंकवाद के मामले में देशद्रोह के इस कांड की हर साजिश का पर्दाफाश करने वाली एक पुस्तक ‘हवाला के देशद्रोही’ शीर्षक से, वाणी प्रकाशन, दरियागंज, नई दिल्ली से जारी हुई है। जिसे पढ़कर एक आम हिंदुस्तानी भी समझ सकता है कि इस देश में आतंकवाद खत्म होने की बजाए बढ़ क्यों रहा है ? क्या वजह है कि तमाम सबूतों के बावजूद हवाला आरोपी राजनेता एक-एक करके छुटते गए ? जबकि रिश्वत देने वाले जैन बंधुओं ने स्वीकारा कि उन्होंने राजनेताआंे को पैसे दिए और दर्जन भर राजनेताआंे ने भी स्वीकारा कि उन्होंने पैसे लिए, तमाम विदेशी मुद्रा व दस्तावेज छापों में पकड़े गए, पर अदालत ने कह दिया कि कोई सबूत ही नहीं है? क्या वजह है कि भरी अदालत में यह स्वीकारने के बाद कि सर्वोच्च अदालत पर हवाला कांड को दबाने के लिए भारी दबाव पड़ रहा है, भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायधीश श्री जेएस वर्मा ने न तो दबाव डालने वाले का नाम ही देश को बताने की जरूरत समझी और न ही उसे अदालत की अवमानना के जुर्म में गिरफ्तार ही करवाया ? जबकि अदालत की अवमनना के छोटे से मामले में भी बड़े-बड़े समाज सुधारकों, पत्रकारों, वकीलों व आईएएस और आईपीएस अधिकारियों तक को अदालत नहीं बख्शती। ऐसे तमाम तथ्यों का खुलासा यह पुस्तक करती है। इधर इंडियन एअर लाइंन्स के विमान अपहरण के बाद से देश में आतंकवादियों से जुड़े तंत्र पर सरकारी जांच एजेंसियों की सतर्क निगाहें तैनात हैं ऐसे हालात में आमिर भाई क्योंकर मधुमक्खियों के छत्ते में हाथ डालने लगा ? साफ जाहिर है कि उसका गिरफ्तार होना एक नाटक से ज्यादा कुछ नहीं हैं। आने वाले दिनों में पूरी तस्वीर देश के सामने आ जाएगी।

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