इसी कॉलम में हम 2015 में लिख चुके हैं कि ‘जैट एयरवेज’ किस तरह
से भारत सरकार को अपनी अंगुलियों पर नचाकर यात्रियों की जिंदगी से खिलवाड़ और देश
से गद्दारी कर रहा है। हमारी तमाम शिकायतें प्रमाणों के साथ सीबीआई के दफ्तरों में
2015 से धूल खा रही है। भारत सरकार का गृह मंत्रालय तक जैट ऐयरवेज
के अपराधों पर पर्दा डाले हुए था। जब दिल्ली उच्च न्यायालय ने गृह मंत्रालय को
आदेश दिये, तब बड़ी मुश्किल से उसने ये बताया कि जैट एयरवेज
का विदेशी मूल का सीओओ/सीईओ कैप्टन हामिद अली बिना
सरकार की सुरक्षा, अनापत्ति हासिल किये ही 7 वर्ष तक इस एयरलाइस को चलाता रहा। हमारे बार-बार आरटीआई सवाल पूछने पर,
भारत सरकार का गृह मंत्रालय यह झूठ बोलता रहा कि, ‘इस प्रश्न का उत्तर देना सुरक्षा की दृष्टि से संभव नहीं है’। अदालत की
फटकार पड़ने के बाद ही उसे होश आया।
इसी तरह भारत सरकार का ‘नागरिक उड्यन
मंत्रालय’ भी जैट एयरवेज के अपराधों को छिपाने में लगा रहा है। जब हमारे ‘कालचक्र
समाचार ब्यूरो’ ने पर्दा फाश किया, तो जैट एयरवेज को अपने 131 पाइलट ग्राउंड करने पड़े।
क्योंकि वे बिना कुशलता की परीक्षा पास किये हवाई जहाज उड़ा रहे थे और यात्रियों की
जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे थे। क्योंकि जैट एयरवेज के मालिक नरेश गोयल ने बड़ी
होशियारी से अपने ही कर्मचारियों को ‘डीजीसीए’ में तैनात करवा रखा था, जो देश के सभी एयरलाईंस के पाईलटों को नियंत्रित करता है। ‘सैंया भये
कोतवाल, तो डर काहे का’। नतीजतन जैट एयरवेज के नाकारा पाईलट
हवाई यात्रियों की जिंदगी से खिलवाड़ करते आ रहे हैं। हाल ही में उसके दो पाईलट
आसमान में जहाज को अकेला छोड़ लड़ते-झगड़ते कॉकपिट से बाहर आ गये।
तुर्की हवाई सीमा
में उसका हवाई जहाज अचानक 5000 फुट नीचे आ गया,
क्योंकि कॉकपिट में एक पाईलट सो रहा था और दूसरी पायलट आई पैड पर
गेम खेल रही थी । बहुत बड़ी हवाई दुर्घटना होने से बच गयी। जर्मनी में भी जैट
एयरवेज के कॉकपिट में पाईलटों के सो जाने से हड़कंप मच गया था। पाईलट के खराब
प्रशिक्षण के कारण गोवा में जैट एयरवेज का जहाज रन वे से फिसलकर कीचड़ में चला गया। लंदन में उसका जहाज हवाई अड्डे की दीवार से
टकराते-टकराते बचा। एम्सटर्डम में उसका जहाज रन वे पर गलत गति से दौड़ने के कारण
अपनी पूंछ टकराकर तोड़ बैठा। इसी तरह लंदन के रन वे पर दौड़ते हुए, वह गलत दिशा में मुड़ गया, जहां कई जहाजों से टक्कर
होते-होते बची। हाँगकाँग में उसके पाईलट ने इतनी खतरनाक लैडिंग की कि लगा कि जहाज
दुर्घटनाग्रस्त हो जायेगा। सभी यात्रियों की चीखें निकल गईं। हाल ही में जैट एयरवेज़ की एक विमान परिचारिका हाल ही में दिल्ली हवाई अड्डे पर 3.5 करोड़ की अवैध विदेशी मुद्रा के साथ पकड़ी गयी। हम पहले ही सीबीआई को तमाम दस्तावेज दे चुके हैं। जिनसे यह सिद्ध होता है कि जैट ऐेयरवेज का मालिक नरेश गोयल हजारों करोड़ रूपये की हेराफेरी कर रहा है।
जैट एयरवेज के पाईलटों
की इन कमजोरियों और गलतियों की ओर गत 4 वर्षों से हम नागरिक उड्यन मंत्रालय के सचिव और डीजीसीए के महानिदेशक को
लिख-लिखकर शिकायत भेजते रहे हैं। पर शायद हमारी कलम से ज्यादा ताकत नरेश गोयल की
मोटी रिश्वत में हैं, जो मंत्रालयों में करोड़ों रूपया बांटकर
अपने सभी गुनाहों पर पर्दा डाल लेता है।
नरेश गोयल के
दर्जनों गुनाहों पर जो शिकायते हमने सीबीआई को 2015
में दी, उनमें अपने हर आरोप के समर्थन में
दर्जनों प्रमाण और दस्तावेज भी दिये। पर लगता है कि ‘जैन हवाला कांड’ की तरह इस
मामले में भी सीबीआई के अब तक के निदेशक रहे लोग नरेश गोयल के पैसे के प्रभाव में
हैं, इसीलिए कोई जांच आगे नहीं बढ़ी। मजबूरन पिछले हफ्ते मुझे
प्रधानमंत्री जी को सीधे लिखित शिकायत करनी पड़ी। जिस पर मैंने उनसे कहा कि ‘आप तो
देशवासियों से अपील कर रहे हैं कि भ्रष्टाचार से लड़े, पर
आपके अधीनस्थ नागरिक उड्यन मंत्रालय के अब तक के सभी मंत्री और सचिव व गृह
मंत्रालय के अधिकारी नरेश गोयल के घोटालों को छिपाने में जुटे हैं’। मैंने
प्रधानमंत्री जी से अपील की कि हवाई यात्रियों और देश की सुरक्षा के हित में
उन्हें इस मामले में कड़ाई से जांच करवानी चाहिए। हम इस जांच में पूरा सहयोग करने
को तैयार हैं। उम्मीद है कि फिलिस्तीन के दौरे से लौटकर प्रधानमंत्री जी इस मामले
पर प्राथमिकता से ध्यान देंगे और सीबीआई के निदेशक को तलब करेंगे कि वो आज तक इसे
दबाये क्यों बैठे हैं ?
ये बड़ी तकलीफ की
बात है कि इतनी बार अदालत की फटकार खाने के बाद,
सीबीआई की कार्य प्रणाली में कोई अंतर नहीं आया है। उसकी कब्रगाह
में आज भी दर्जनों बड़े घोटाले दफन हो चुके हैं, जिनकी जांच
करने की सीबीआई की कोई मंशा नजर नहीं आती। यह चिंता और दुख की बात है।
प्रधानमंत्री को इस पर ध्यान देना चाहिए। हवाला कांड में भी सीबीआई में तभी हड़कंप
हुई थी, जब मैंने 1993 में सर्वोच्च
न्यायालय का दरवाजा खट-खटाया था। देखते हैं इस बार क्या होता है?
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